Wednesday, October 9, 2019

अंतरंग रिश्ते के दो रंग ... ( दो रचनाएँ ).

(1)@

 बनकर गुलमोहर
 -------------------
सुगन्ध लुटाते
मुस्कुराते .. लुभाते
बलखाते .. बहुरंग बिखेरे
खिलते हैं यहाँ सुमन बहुतेरे
नर्म-नर्म गुनगुने धूप में
यौवन वाले खिले-खिले
जीवन-वसंत के
पर ... तन जलाती
चिलचिलाती धूप लिए
मुश्किल पलों से भरे
जीवन के जेठ-आषाढ़ में
शीतल छाँव किए
बनकर गुलमोहर
खिलूँगा मैं अनवरत
हो तत्पर तुम्हारे लिए ...

गेंदा .. गुलदाउदी ..
गुलाब होंगे ढेर सारे
संग तुम्हारे
आसान-से
दिन के उजियारे में
होंगीं बेली .. चमेली
मोगरा भी मस्ती भरे
चाँदनी रात वाले
चुंधियाते उजियारे में पर ...
मायूस .. सुनी ..
तन्हा रातों में
रहूँगा संग तुम्हारे
अनवरत हर बार
हरसिंगार की तरह
पूर्ण आत्मसमर्पण किए हुए ...

(2)@

कंदराओं में बुढ़ापे की
------------------------
आँगन में बचपन के
गलियारों में यौवन के
चहकते हैं सभी
चहकना .. महकना ..
मचलना .. मटकना ..
रूठना .. मनाना ..
चाहना .. चाहा जाना ..
ये सब तो करते हैं सभी
है ना सखी !?

पर आओ ना !!!
कंदराओं में बुढ़ापे की
तुम-हम चहकेंगे .. महकेंगे ..
मटकेंगे .. मचलेंगे ..
रुठेंगे .. मनाएंगे ..
चाहेंगे .. चाहे जाएंगे ..
टटोलेंगे अपनी कंपकंपाती
वृद्ध हथेलियों से
उग आई चेहरे पर
अनचाही झुर्रियों को
एक-दूसरे की
है ना सखी !?

और अपनी बुढ़ाई हुई
मोतियाबिंद वाली
धुंधलायी आँखों से
तलाशेंगे उनमें लांघी गई
कुछ सीधी-सीधी गलियां
रौंदी हुई कुछ
टेढ़ी-मेढ़ी पगडंडियां
हमारे-तुम्हारे जीवन की
है ना सखी !?

बैठ फ़ुर्सत में आमने-सामने
कभी एक-दूसरे की बाँहों में
बतिआया करेंगे हम-दोनों
पोपले मुँह से तोतली बोली
अपने बचपन-सी
और ढूँढ़ा करेंगे अक़्सर
चाँदी-से सफ़ेद बालों में
बर्फ़ीले पहाड़ों के
बर्फ़ की सफ़ेदी तो कभी ..
चमक पूर्णमासी की रात वाली
टहपोर चाँदनी की
आओ ना सखी !?

12 comments:

  1. निःशब्द कर दिया आपकी रचना ने ,
    बधाई

    ReplyDelete
    Replies
    1. अनीता जी ! आपकी स्तब्ध करती प्रतिक्रियाएं एक नई प्रेरणा दे जाती है ...

      Delete
  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (11-10-2019) को   "सुहानी न फिर चाँदनी रात होती"  (चर्चा अंक- 3485)     पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।  
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ 
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपको नमन और आपका हार्दिक आभार रचना को चर्चा-मंच पर साझा काने के लिए ....

      Delete
  3. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" रविवार 30 जून 2024 को लिंक की जाएगी ....  http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी ! .. नमन संग आभार आपका ...

      Delete
  4. सम्पूर्ण जीवन का चित्रण करती हुई आपकी इस रचना ने बुढ़ापे को भी जीवंत कर दिया। दोनों ही रचनाएं अत्यंत सुंदर सार्थक और बिंबात्मक सादर

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी ! .. नमन संग आभार आपका ...

      Delete
  5. Replies
    1. जी ! .. नमन संग आभार आपका ...

      Delete
  6. बहुत सुंदर रचनाएँ

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी ! .. नमन संग आभार आपका ...

      Delete