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Thursday, August 29, 2019

चन्द पंक्तियाँ - (१३) - बस यूँ ही ...

(1)#  कुछ रिश्ते होते हैं ...
 
कुछ रिश्ते होते हैं
माथे से उतार कर
बाथरूम की दीवारों पर
चिपकाई गई लावारिस
बिंदी की तरह

या कभी-कभी
तीज-त्योहारों या
शादी-उत्सवों के बाद
लॉकरों में सहेजे
कीमती गहनों की तरह

या फिर कभी
चेहरे या शरीर के
किसी अंग पर टंके हुए
ताउम्र मूक तिल या
मस्से की तरह

पर कुछ रिश्ते
बहते हैं धमनियों में
लहू की तरह
धड़कते है हृदय में
धड़कन की तरह
घुलते हैं साँसों में
नमी की तरह
मचलते हैं आँखों में
ख्वाबों की तरह
होते हैं ये रिश्ते टिकाऊ
जो होते है बेवजह ...
है ना !?...



(2)#  मन का भूगोल

भूगोल का ज्ञान -
पृथ्वी का एक भाग थल
तो तीन भाग जल
यानि इसके एक-चौथाई भाग जमीन
और तीन-चौथाई भाग है जलमग्न ...
मतलब जल के भीतर की दुनिया
अदृश्य पर बड़ी-सी ...

ठीक मानव तन की दुनिया
और मन की दुनिया की तरह ...
 तन की दुनिया दृश्य ... पर छोटी ...
दूसरी ओर मन की दुनिया अदृश्य ...
पर अथाह, अगम्य, अनन्त, विशाल
बड़ी ... बहुत बड़ी .... बहुत-बहुत बड़ी ...


है कि नहीं !!!?...