समय गुजरता सर्र-सर्र ..सर्र-सर्र ..
कैलेंडर के पन्ने उड़ते फर्र-फर्र ..फर्र-फर्र ..
कहते हैं एक-दूसरे को सब ख़ुश होकर
" हैप्पी न्यू इयर " .. " हैप्पी न्यू इयर "..
जूठे प्लेट .. जूठे दोने और 'स्नैक्स' के 'रैपर'
कल बिखरे मिलेंगें शहर में हमारे इधर-उधर
साथ नगम-निगम की गाड़ियों में बजते भी रहेंगे
- "गाड़ी वाला आया .. घर से कचरा निकाल"
हाँ .. बदलता तो है कैलेंडर .. आता है नया साल
पर सच में बदलता भी है क्या .. हमारा हाल !?
"निर्भया" निर्भीक होकर लौट पाएगी क्या
अबकी साल रात में सकुशल अपने घर ?
बेंधना .. टटोलना .. बंद कर देंगीं क्या
अब मनचलों की 'एक्स-रे' वाली नज़र ?
केहुनी की चुभन अब रुक जायेगी क्या जो
'पब्लिक ट्रांसपोर्ट' में चुभती है इन्हें अक़्सर ?
मानव-नस्ल की रचयिता, जननी का जीवन ही
बना हुआ है जो जी का जंजाल ...
हाँ .. बदलता तो है कैलेंडर .. आता है नया साल
पर सच में बदलता भी है क्या .. हमारा हाल !?
धंसा रहेगा "होरी" का तो पेट नए साल भी
रहेगा "धनिया" का परिवार दाने-दाने को मोहताज़
जी तोड़ कर-कर के मजदूरी मजदूर मुरारी लाल
अपने बेटे-बेटी को पढ़ाने का तो करेगा पूरा प्रयास
बेहतर नंबर लाकर भी आरक्षण ना होने के कारण
बेटा क्या हो सकेगा सरकारी दफ़्तर में बहाल ?
कटेगी मुरारी लाल की बाकी ज़िन्दगी घिसटती
बिटिया का दहेज़ बना जाएगा उसे कंगाल
हाँ .. बदलता तो है कैलेंडर .. आता है नया साल
पर सच में बदलता भी है क्या .. हमारा हाल !?
कैलेंडर के पन्ने उड़ते फर्र-फर्र ..फर्र-फर्र ..
कहते हैं एक-दूसरे को सब ख़ुश होकर
" हैप्पी न्यू इयर " .. " हैप्पी न्यू इयर "..
जूठे प्लेट .. जूठे दोने और 'स्नैक्स' के 'रैपर'
कल बिखरे मिलेंगें शहर में हमारे इधर-उधर
साथ नगम-निगम की गाड़ियों में बजते भी रहेंगे
- "गाड़ी वाला आया .. घर से कचरा निकाल"
हाँ .. बदलता तो है कैलेंडर .. आता है नया साल
पर सच में बदलता भी है क्या .. हमारा हाल !?
"निर्भया" निर्भीक होकर लौट पाएगी क्या
अबकी साल रात में सकुशल अपने घर ?
बेंधना .. टटोलना .. बंद कर देंगीं क्या
अब मनचलों की 'एक्स-रे' वाली नज़र ?
केहुनी की चुभन अब रुक जायेगी क्या जो
'पब्लिक ट्रांसपोर्ट' में चुभती है इन्हें अक़्सर ?
मानव-नस्ल की रचयिता, जननी का जीवन ही
बना हुआ है जो जी का जंजाल ...
हाँ .. बदलता तो है कैलेंडर .. आता है नया साल
पर सच में बदलता भी है क्या .. हमारा हाल !?
धंसा रहेगा "होरी" का तो पेट नए साल भी
रहेगा "धनिया" का परिवार दाने-दाने को मोहताज़
जी तोड़ कर-कर के मजदूरी मजदूर मुरारी लाल
अपने बेटे-बेटी को पढ़ाने का तो करेगा पूरा प्रयास
बेहतर नंबर लाकर भी आरक्षण ना होने के कारण
बेटा क्या हो सकेगा सरकारी दफ़्तर में बहाल ?
कटेगी मुरारी लाल की बाकी ज़िन्दगी घिसटती
बिटिया का दहेज़ बना जाएगा उसे कंगाल
हाँ .. बदलता तो है कैलेंडर .. आता है नया साल
पर सच में बदलता भी है क्या .. हमारा हाल !?