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Sunday, July 21, 2019
मन का सूप
कोमल भावनाओं और
रूमानी अहसासों की
आड़ी-तिरछी कमाचियों से
बुना सूप तुम्हारे मन का
गह के ओट में जिसके
अनवरत अटका हुआ है
हुलकता हर पल
बनारसी राई मेरे मन का
फटको-झटको लाख तुम
अपने मन का सूप
पर है अटका रहने वाला
बनारसी राई मेरे मन का
ताउम्र ......
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