विशुद्ध बांग्ला भाषी कोई,
ज्ञानपीठ मिले किसी भी
कन्नड़ साहित्यकार की
कोई कन्नड़ रचना
या विशुद्ध कन्नड़ भाषी भी
कोई बांग्ला रचना ;
साहिब ! .. शायद ...
पाते हैं समझ बस उतना ही
मूढ़ साक्षर या भोले निरक्षर सारे,
हों आपके आदेश या निर्देश
या कोई ख़ास संदेश,
या फिर हों नारों वाले विज्ञापन सारे,
गाँव-गाँव, शहर-शहर,
हर तरफ, इधर-उधर ...
मसलन ... "स्वच्छ भारत अभियान" के .. शायद ...
ईंट की दीवारों की जगह
मन-मस्तिष्क की दीवारों पे,
काश ! .. कुछ इस तरह
हो पाते अंकित ये नारे
"स्वच्छ भारत अभियान" के।
पर .. इसकी ख़ातिर तो
होगा जगाना जन-जन को पहले,
और फिर शायद ... शाब्दिक
"स्वच्छ भारत अभियान" से भी पहले,
अक्षर-ज्ञान हम जन-जन को दे लें।
काश ! ...
सफल हम मिलकर कर पाते पहले,
"साक्षर भारत अभियान" यहाँ पे।
सभी तभी तो समझ पाते,
आपकी संदेशों की बातें,
"स्वच्छ भारत अभियान" वाले .. शायद ...
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