सरकार द्वारा तयशुदा शुल्क से अधिक राशि,
वाहन चलाने के अनुज्ञा पत्र हेतु भुगतान करने जैसा,
तोड़ कर यातायात के नियमों को बिन रसीद,
सिपाही को "कुछ" भुगतान कर के स्वयं बचने जैसा,
'पासपोर्ट' बनने के दौरान जाँच के बदले में,
"खर्चा-पानी शुल्क" देने पर ही, 'फ़ाइल' बढ़ने जैसा,
रेलयात्रा के दौरान 'टीटीई' से बिना रसीद के,
"अतिरिक्त सेवा शुल्क" से अतिरिक्त सेवा लेने जैसा ...
दहेज़ की लेन-देन की गई किसी शादी में,
शिष्ट, गरिष्ठ, स्वादिष्ट भोज का स्वाद चखने जैसा,
"ध्वनि के लिए बने अधिनियम" के विरुद्ध भी,
शोर मचाती बारातों के 'डीजे' के साथ नाचने जैसा,
वो भी रात के दस बजे के बाद या फिर कभी,
सारी-सारी रात किसी जागरण में ताली पीटने जैसा,
तीर्थस्थलों के मंदिरों में शीघ्र दर्शन करने हेतु,
न्यास या फिर पंडों को "सेवा शुल्क" अदा करने जैसा ...
घोषित "शुष्क दिवस" के दिन भी 'ब्लैक' में,
बोतलें, दुकान के पिछले दरवाजे से भी खरीदने जैसा,
बेटा, बाप से या बाप, बेटे से छुपा कर या फिर,
सार्वजनिक स्थलों पर क़ानून तोड़ते, धूम्रपान करने जैसा,
स्कूल के दिनों में अपनी उम्र को साल-दो साल,
कम बतला के, मौलिक उम्र से अधिक नौकरी करने जैसा,
तुलनात्मक कम योग्यता रख कर भी बारम्बार,
आरक्षण की लगा लंगी एक योग्य को, आगे बढ़ने जैसा ...
अगर .. ना भी ऐसे सारे सुअवसर मिलें हों कभी,
ना ही की हो कभी प्रयास हमने, कोई जुगाड़ लगाने जैसा,
फिर भी इर्द-गिर्द ये त्रासदियाँ देख कर भी सारी,
विचलित ना हुए हों हम या होकर भी रहे हों मौन रहने जैसा,
या कोई भी एक इनमें से पुनीत कार्य किया हो,
हमने तो, पाक गीता या कुरान के ऊपर हाथ रखने जैसा-
काम ना करके, हाथ धड़कते दिल पर रख के अपने,
सोचते हैं एक बार .. ज़िन्दा हैं हम जिसके धड़कनों जैसा ...
यूँ तो है प्रतिबंधित नहीं, मनाना "कारगिल दिवस",
किसी के लिए भी, फिर भी .. सोचते है एक बार ..
मनाने से पहले हम, हाँ .. आइए, सोचते है एक बार ..
मनाने से पहले हम, "कारगिल दिवस", कि ... कहीं
कर तो नही रहे हम उन शहीदों का अनादर या फिर
चर्चा भर भी करके कोई "कारगिल दिवस" की हम
अपनी तरफ से, कहीं बन तो नहीं रहे हैं, ठीक ...
मेरी तरह ही .. आप भी कोई ..पंजीकृत बेमुरव्वत ? .. बस यूँ ही ...
【 १) वाहन चलाने के अनुज्ञा पत्र - Driving License.
२) ध्वनि के लिए बने अधिनियम - "पर्यावरण संरक्षण अधिनियम,
1986" की धारा 15 को ही "ध्वनि प्रदूषण (विनियमन एवं
नियंत्रण) नियमावली, 2000" कहते हैं, जिसके अनुसार
आवासीय क्षेत्रों में दिन में ध्वनि का स्तर 55 डेसिबल
(Decibels /dB) और रात में 45 डेसिबल तक ही मान्य है।
परन्तु शादी के 'डीजे' (Disc Jockeys), पटाखें और
जागरण या अज़ान वाले लाउडस्पीकर लगभग 100 डेसिबल
तक का या उस से भी ज्यादा शोर मचाते हैं; जबकि वैज्ञानिक
शोध कहता है, कि 60 से ज्यादा डेसिबल की ध्वनि कान के
पर्दों के लिए नुकसानदेह होती है .. शायद ...
२)अ) डेसिबल - ध्वनि तंरगों की तीव्रता नापने की इकाई।
३) शुष्क दिवस - Dry Day.
(जिस दिन सरकारी अध्यादेश से शहर में शराब की दुकानें
बंद रहती हैं - 26 जनवरी, 15 अगस्त, 02 अक्टूबर।)।
४) आरक्षण - इसका अर्थ तो सभी जानते हैं। जिन्हें मिलता हो, वो
भी और जिन्हें ना मिलता हो, वो भी।
पर .. चूँकि भारतीय सेनाओं (जल, थल, वायु) में जातिगत
आरक्षण के आधार पर भर्ती नहीं होती, अतः हरेक भारतीय
सेना के शहीद भी आरक्षणभोगी या आरक्षण से लाभान्वित
नहीं होते हैं। ( बेशक़ भारतीय थल सेना में जाति, पंथ या क्षेत्र
के आधार पर सैन्य-दलों (रेजिमेंट/Regiments) में वर्गीकृत
अवश्य किया जाता है, जो अंग्रेजों की शुरू की गई एक प्रणाली
है। )
ऐसे में अगर हम वर्तमान में भी आरक्षण से लाभान्वित होकर
भी अगर उन की कोई चर्चा करते हैं, तो यह उनका अनादर ही
होगा .. शायद ...
५) कारगिल दिवस - 26 जुलाई. (सन् 1999 ईस्वी के बाद से). 】.