आजकल मुहल्ले या शहर-गाँव में कई-कई लाउडस्पीकरों की श्रृंखला में बजने (?) वाले कानफोड़ू तथाकथित जगराता, जागरण या सत्यनारायण स्वामी की कथा या फिर किसी भी धर्म के किसी भी धार्मिक जलसा में या शादी-विवाह और जन्मदिन के अवसर के अलावा कई दफ़ा तो शवयात्रा में भी बजने वाले निर्गुण के सन्दर्भ में .. बस यूँ ही ...
(१) कबीरा बेचारा ...
दिखा आज सुबह मुहल्ले में
कबीरा बेचारा बहुत ही हैरान -
कल तक तो बहरे थे यहाँ ख़ुदा,
हो गया है अब शायद भगवान ...
अब दूसरी रचना ( ? ) बिना बतकही या भूमिका के ही .. बस यूँ ही ...
(२) रामः रामौ रामा: ...
यूँ तो खींच ही लाते हैं एक दिन बाहर
रावण को हर साल पन्नों से रामायण के
और .. मिलकर मौजूदगी में हुजूम की
जलाते हैं आपादमस्तक पुतले उसके ।
पर अपने शहर का राम तो है खो गया
युगों से किसी मंदिर की किसी मूर्त्ति में
या शायद मोटे-मोटे रामायण के पन्नों में
या फिर "रामः रामौ रामा:" शब्दरूप में .. शायद ...