180° कोण पर
अनवरत फैली
बेताब तुम्हारी
बाँहों का व्यास
मुझे अंकवारी
भरने की लिए
एक अनबुझी प्यास ...
और ...
360° कोण तक
निरन्तर पसरती
तुम्हारी मायूस
निगाहों की परिधि
करती मेरी किसी
गुमशुदा-सी तलाश ...
तुम्हारे ...
हृदय-स्पन्दन का केन्द्र
जिसके इर्द-गिर्द
मेरी ख़ातिर
रचता तुम्हारा मन
एक प्रेम-वृत्त
और ...
मैं और वजूद मेरा
बस ...
उस प्रेम-वृत्त का
पाई(π)-सा ...
है ना ... !? ...
अनवरत फैली
बेताब तुम्हारी
बाँहों का व्यास
मुझे अंकवारी
भरने की लिए
एक अनबुझी प्यास ...
और ...
360° कोण तक
निरन्तर पसरती
तुम्हारी मायूस
निगाहों की परिधि
करती मेरी किसी
गुमशुदा-सी तलाश ...
तुम्हारे ...
हृदय-स्पन्दन का केन्द्र
जिसके इर्द-गिर्द
मेरी ख़ातिर
रचता तुम्हारा मन
एक प्रेम-वृत्त
और ...
मैं और वजूद मेरा
बस ...
उस प्रेम-वृत्त का
पाई(π)-सा ...
है ना ... !? ...