Showing posts with label क्रोमोजोम. Show all posts
Showing posts with label क्रोमोजोम. Show all posts

Wednesday, January 8, 2020

एक्स और वाई ...

सुबह-सुबह अपने ओसारे में फैली चारपाई पर उदास बैठे रामखेलावन को खैनी मलते हुए देखकर घर के सामने के रास्ते से गुजरता हुआ उसका बचपन का लंगोटिया यार सिंगेसर उसी के बगल में बैठते हुए पूछ बैठा -

" क्या रामखेलावन , इतना उदास क्यों बैठे हो ? आयँ !? "

" क्या बोलें सिंगेसर, इस बार तीसरी बार भी बड़की बहू को बेटी ही उत्पन्न हुई है। अब मेरा वंश-बेल कैसे बढ़ेगा भला ? बोलो ना भाई !  कैसे मोक्ष मिलेगा बेटा को ? कौन देगा मरने पर मुँह में आग उसको ? यही सब सोच-सोच के परेशान हैं ... और क्या !! "

तभी घर से बाहर खेत पर जाते वक्त रामखेलावन का बेटा रामसुन्दर अपनी पत्नी की बेमतलब की आलोचना से तिलमिला कर टपक पड़ा दो बड़ों के बीच में -

" बाबू जी , इसमें उसका (बहू का)  क्या दोष है ? अब हम कैसे आपको समझाएं .. 'एक्स' और 'वाई' अनुसूत्र ( क्रोमोसोम ) के बारे में ... "

" चुप ! बेवकूफ़ ! चार अक्षर पढ़ लिए हो तो हमको सिखाने लगे हो ! है ना ? "

फिर सिंगेसर के तरफ मुँह करके -

" सुन रहे हो ना सिंगेसर, अब ये चार दिन का लड़का, हमारा औलाद ही .. जिसको हम पढ़ाए क,ख,ग,घ और ए, बी, सी, डी .. वही हमको सिखाएगा अब तो .. एक्स और वाई .. "

फिर बेटा की ओर -

" धत् ! बेवकूफ़ ...  पता नहीं .. क्या-क्या बकता रहता है .. जाओ , जाकर अपना काम करो .. तुम्हारा भला-बुरा सोचना हम बड़े-बुजुर्गों का काम है। जाओ यहाँ से ..  !! "

अपने दुःखी मित्र का पक्ष लेते हुए सिंगेचर भी रामसुन्दर को लगभग चुप कराते हुए बोल पड़ा -

" जाओ रामसुन्दर बेटा .. खेत जाओ, अपना काम करो, देर हो जायेगी। दो बड़े-बुजुर्ग की बातों को नहीं काटनी चाहिए। हमलोग बड़े हैं तो हमलोगों से ज्यादा ज्ञान तो नहीं ही ना होगा तुमको !? बोलो ! और ... हमलोग तुम्हारे दुश्मन नहीं ही ना हैं बेटा ! सब बुरा-भला तुम से बेहतर समझते हैं। है ना!? "

" अब आप लोगों को कैसे समझाएं चाचा कि लड़का और लड़की के पैदा होने के लिए मर्द ही जिम्मेवार है , ना कि औरत ..। "

अंत में रामखेलावन सिंगेसर को चुप कराते हुए -
" जाने दो सिंगेसर इसको, मुँह मत लगाओ इस गँवार से। इसका दिमाग फिर गया है। दिन-रात अंटशंट बकते रहता है। "

फिर बेटा से - " ठीक है बाबू जाओ अब। तुम ढेर होशियार हो गए हो और हमसब बुड़बक ही हैं। "

रामसुन्दर पैर पटकता खेत की ओर चला गया। तब रामखेलावन ने अपने मित्र से बुदबुदाते हुए एक कहावत बोल कर अपनी समझ पर सांत्वना की मुहर लगायी -

" अंधे के आगे रोना और अपने दीदे खोना ! "

और दोनों मित्र अपनी बुद्धिमता पर गौरान्वित महसूस कर खुश हो कर एक दुसरे का मुँह देख कर मुस्कुराते हुए अब तक तैयार हो चुकी खैनी अपनी-अपनी चुटकी में लेकर अपने-अपने निचले होठों में दबा रहे थे।●


{ N.B. - एक्स (♀) और वाई (♂) गुणसूत्र = X and Y Chromosome. जिन पाठक/पाठिकाओं/साहित्यकारों/बुद्धिजीवियों को इसकी जानकारी नहीं हो, उन से करबद्ध निवेदन है कि कृपया  लैरी पेज (अमेरिकी) और सेर्गेई ब्रिन (रुसी) की उपयोगी खोज - Google बाबा की सहायता से इसे अवश्य समझें/जानें। -सादर }


【 ◆विशेष◆ - मौलिकता का एहसास होने के लिए शुरू में " एक्स और वाई " को मूलतः मगही भाषा में संक्षिप्त रूप में लिखा था। बाद में उपर्युक्त रूप में हिन्दी में विस्तार दिया।

उसका गँवई मगही संक्षिप्त रूप :-

"का हो रामखेलावन , एतना उदास काहे बइठल हो "
"का कहें हो सिंगेसर, इहो तीसरको बार पुतोहिया के बेटीए होलइ हे। कइसे बंस चलतइ  .... बुझाइए ना रहलइ हे।"

"बाबू जी, एकरा में ओकर का दोस हई। अब हम तोरा कइसे समझाउअ .... एक्स आउर बाई अनुसूत्र के बारे में"

"चुप  ! बुड़बक । चार अक्छर पढ़ लेले हें तअ हमरा सिखावे लगले हें।...
देख रहली हे ना सिंगेसर, अब इ चार दिन के लौंडा हमनी सभे के सिखैतई .... का तो। एक्स  ... आ .... बाई ... धुत् ! बकलोल तहीने ..." •】