साहिब ! .. महिमामंडित करते हैं मिल कर
रक्त पिपासा को ही तो हम सभी बारम्बार ...
होती है जब बुराई पर अच्छाई की जीत की बात
चाहे राम का तीर हो रावण की नाभि के पार
अर्जुन का तीर अपने ही सगों के सीने के पार
कृष्ण के कहने पर हुआ हो सैकड़ों नरसंहार
काली की कल्पना की हमने .. माना तारणहार
पकड़ाया खड्ग-खप्पर और पहनाया नरमुंड-हार
ख़ुदा को प्यारी है क़ुर्बानी कह-कह कर
बहा रहे वर्षों से अनगिनत निरीह का रक्तधार
साहिब ! .. महिमामंडित करते हैं मिल कर
रक्त पिपासा को ही तो हम सभी बारम्बार ...
मसीहा बन ईसा ने जब चाहा बचाना बुरे को
चाहा मिटाना बुरे का केवल बुरा व्यवहार
रक्त पिपासा वाली भीड़ के हाथों सूली पर
चढ़ा कर हमने ही मारा था एक बेक़सूरवार
बातें जिसने चाही करनी अहिंसा की एक बार
ज़हर की प्याली पिला कर हमने उसे दिया मार
रक्त पिपासा को बना कर हम आदर्श हर बार
कहते रहे सदा- रक्त बहा कर ही होगी बुराई की हार
साहिब ! .. ऐसे में भला कब सोचते हैं हम कि...
रक्तपिपासु ही तो बनेगा निरन्तर अपना कर्णधार
साहिब ! .. महिमामंडित करते हैं मिल कर
रक्त पिपासा को ही तो हम सभी बारम्बार ...
रक्त पिपासा को ही तो हम सभी बारम्बार ...
होती है जब बुराई पर अच्छाई की जीत की बात
चाहे राम का तीर हो रावण की नाभि के पार
अर्जुन का तीर अपने ही सगों के सीने के पार
कृष्ण के कहने पर हुआ हो सैकड़ों नरसंहार
काली की कल्पना की हमने .. माना तारणहार
पकड़ाया खड्ग-खप्पर और पहनाया नरमुंड-हार
ख़ुदा को प्यारी है क़ुर्बानी कह-कह कर
बहा रहे वर्षों से अनगिनत निरीह का रक्तधार
साहिब ! .. महिमामंडित करते हैं मिल कर
रक्त पिपासा को ही तो हम सभी बारम्बार ...
मसीहा बन ईसा ने जब चाहा बचाना बुरे को
चाहा मिटाना बुरे का केवल बुरा व्यवहार
रक्त पिपासा वाली भीड़ के हाथों सूली पर
चढ़ा कर हमने ही मारा था एक बेक़सूरवार
बातें जिसने चाही करनी अहिंसा की एक बार
ज़हर की प्याली पिला कर हमने उसे दिया मार
रक्त पिपासा को बना कर हम आदर्श हर बार
कहते रहे सदा- रक्त बहा कर ही होगी बुराई की हार
साहिब ! .. ऐसे में भला कब सोचते हैं हम कि...
रक्तपिपासु ही तो बनेगा निरन्तर अपना कर्णधार
साहिब ! .. महिमामंडित करते हैं मिल कर
रक्त पिपासा को ही तो हम सभी बारम्बार ...