१)*
जानिब ! ..
तुम मानो ..
ना मानो पर .. मेरी
मन की कलाई पर
अनवरत .. शाश्वत ..
लिपटी हुई हो तुम
मानो .. मणिबंध रेखा ...
तुम .. जानो ..
ना जानो पर ..
लिपटा रहता है
पल-पल .. हर पल ..
इर्द-गिर्द उस रेखा के
मेरी फ़िक्रमंदी का
विश्वस्त मौली सूता ...
२)*
मेरी जानाँ !
अब तो अक़्सर ...
Sphygmomanometer का
Cuff याद कराता है
मदहोशी में कस कर
मुझसे चिपटना तुम्हारा ...
और ...
Stethoscope का
Chestpiece तुम्हारी
बढ़ी हुई रूमानी
'धुकधुकी' को क़रीब से
हर बार मेरा सुन पाना ...
जानिब ! ..
तुम मानो ..
ना मानो पर .. मेरी
मन की कलाई पर
अनवरत .. शाश्वत ..
लिपटी हुई हो तुम
मानो .. मणिबंध रेखा ...
तुम .. जानो ..
ना जानो पर ..
लिपटा रहता है
पल-पल .. हर पल ..
इर्द-गिर्द उस रेखा के
मेरी फ़िक्रमंदी का
विश्वस्त मौली सूता ...
२)*
मेरी जानाँ !
अब तो अक़्सर ...
Sphygmomanometer का
Cuff याद कराता है
मदहोशी में कस कर
मुझसे चिपटना तुम्हारा ...
और ...
Stethoscope का
Chestpiece तुम्हारी
बढ़ी हुई रूमानी
'धुकधुकी' को क़रीब से
हर बार मेरा सुन पाना ...