(1)
तुम ना सही,
तेरी यादें ही सही,
मन के आले पर संभाले,
रखा हूँ आज भी तुम्हें सहेज करके .. बस यूँ ही ...
वर्ना यूँ तो
पूजते हैं जिसे सभी,
अक़्सर उन्हें भी ताखे से
फ़ुटपाथों पे छोड़ने में नहीं गुरेज़ करते .. बस यूँ ही ...
(2)
गाते हैं सभी
यूँ तो यहाँ पर
"ये हसीं वादियाँ ..
ये खुला आसमां"~~~,
पर जानम बिन तेरे
है मेरे लिए तो ये
जैसे कोई मसान .. बस यूँ ही ...
सुलगते
भीमसेनी कपूर-सी
तुम्हारी
सोंधी साँसों के
बिन है जानम
सब ये यहाँ
सुनसान, वीरान ..बस यूँ ही ...