Showing posts with label तेज़ाब. Show all posts
Showing posts with label तेज़ाब. Show all posts

Sunday, March 15, 2020

सच्चा दिलदार ...


बना कर दहेज़ की रक़म को आधार
करते हैं सब यूँ तो रिश्तों का व्यापार
वधु-पक्ष ढूँढ़ते जो पाए अच्छी पगार
वर खोजे नयन-नक़्श की तीखी धार
मिलाते जन्मपत्री भी दोनों बारम्बार
मँहगी बारात में मिलते दोनों परिवार
साहिब ! यही पति होता क्या सच में दिलदार ?...

जिसे दहेज़ की ना हो कोई दरकार
चेहरे की सुन्दरता करे जो दरकिनार
उत्तम विचारों को ही करे जो स्वीकार
फिर चाहे जले हो तेज़ाब से रुख़्सार
या कोई वेश्या पायी समाज से दुत्कार **
करे मन से जो निज जीवन में स्वीकार
साहिब ! वही है ना शायद एक सच्चा दिलदार ?...

** - परित्यक्ता हो कोई या किए गए हों बलात्कार