Thursday, May 18, 2023

सादिक नहीं हैं हम .. शायद ...


कहते हैं यहाँ के ज्ञानी सब लोग, कि व्यवहारिक नहीं हैं हम

हाँ सच ही कहते होंगे शायद,क्योंकि औपचारिक नहीं हैं हम


पता नहीं किया कभी, क्या भाव बिकता है बाज़ारों में सोना

बहुत है अपने जीने की ख़ातिर,कुछ मिलेट्स या चना-चबेना

ना पद, ना पैसा, ना सूरत भली, माना कि नायक नहीं हैं हम 

पर करते तो किसी का बुरा नहीं, खलनायक भी नहीं हैं हम

कहते हैं यहाँ के ज्ञानी सब लोग, कि व्यवहारिक नहीं हैं हम

हाँ सच ही कहते होंगे शायद,क्योंकि औपचारिक नहीं हैं हम


सात फेरों और शादियों के नाम तो,सौदागरी के बोल-बाले हैं

उनके तो सब चकाचक,अपने तो अंदर जूते के फ़टे जुराबें हैं

सुबह-शाम गुनगुना-गा लेते हैं बस, कोई गायक नहीं हैं हम

खुले कुत्ते,उड़ते पंछियों से प्यार भर,कोई लायक नहीं हैं हम

कहते हैं यहाँ के ज्ञानी सब लोग, कि व्यवहारिक नहीं हैं हम

हाँ सच ही कहते होंगे शायद,क्योंकि औपचारिक नहीं हैं हम


शादी हो या पूजा-जागरण, होते खूब डी जे के शोर-शराबे हैं

धर्म-मज़हब के नाम पे,हो रहे क्यों चारों तरफ ख़ून-ख़राबे हैं

मंचों पर शपथ लेने वाले साहिबों जितने सादिक नहीं हैं हम

जब मर के हो जाना एक दिन देहदान, तो तनिक नहीं अहम्

कहते हैं यहाँ के ज्ञानी सब लोग, कि व्यवहारिक नहीं हैं हम

हाँ सच ही कहते होंगे शायद,क्योंकि औपचारिक नहीं हैं हम


सेल्फ़ी लेकर सेलिब्रिटी संग स्टेटस में चेपना स्वभाव नहीं है

मदद कर किसी को,ले सेल्फ़ी, चमकाने में कोई चाव नहीं है

बुद्धिजीवी हैं सारे, पुलिंदे ज्ञानों के, उतने अधिक नहीं हैं हम

नेमी-धर्मी धुले दूध के सारे, उतने तो ठीक-ठीक नहीं हैं हम

कहते हैं यहाँ के ज्ञानी सब लोग, कि व्यवहारिक नहीं हैं हम

हाँ सच ही कहते होंगे शायद,क्योंकि औपचारिक नहीं हैं हम