हर बार मछली का मुड़ा
या मछली की फ्राई पेटी,
बकरे के पुठ वाला पर्चा
या शोरबे से चुनी हुई कलेजी
या फिर .. घी-प्याज़ में तली हुई
कलेजियाँ सारी की सारी ही।
सुगन्धित बिरियानी के साथ
ज़्यादा से ज़्यादा बिरिस्ता,
और हर बार मुर्गे का लेग पीस भी।
गाढ़ी दाल के ऊपर-ऊपर तैरता घी,
ये सब है वो परोसती,
विशेष रूप से थाली में तुम्हारी,
कभी चखना के तौर पर
या तो .. भोजन के लिए कभी।
दही जब भी तो .. कटोरा भरा,
वो भी छाली से अंटा पड़ा,
रात में भर गिलास जब कभी दूध भी,
तो डाल कर मलाई पूरे पतीले की।
ये सब है उसका प्यार तुम्हारे लिए
या फिर सम्मान है तुम्हारे लिए,
क्योंकि ..
ब्याह लाए हो उसे तुम
साथ इक भीड़ की गवाही के,
तो तुम बन गए हो उसके ..
तथाकथित पति परमेश्वर,
या ख़ुदा जैसे ख़ाविंद।
है ना ? ..
हे चराचर के स्वघोषित सर्वोत्तम चर जीव- नर !
पर बदले में इन सब के
परोसा है क्या ही सब तुमने समक्ष उसके,
रात के नितांत एकांत में ?
सिगरेट की दुर्गन्ध से गंधाता अपना मुँह,
शराब की बदबू से बसाती अपनी साँसें,
खैनी या गुटखे की बदबूदार
बजबजाती अपनी लार
और कामोत्तेजक अकड़े उसके बदन को
मिलने वाले चरमसुख से पहले ही
स्वयं का शीघ्रपतन वाला स्खलन,
जो रति क्रीड़ा कम,
लगती है उसे पीड़ा ज़्यादा।
तदोपरांत खर्राटेदार निढाल अपना बदन,
बिस्तर के चादर पर लिजलिजी सीलन
और उस पर उसका सुलगता तन-मन।
और हाँ .. शब्दकोश है शून्य
या यूँ कहें कि .. सुन्न है तुम्हारी,
पूर्व लैंगिक गतिविधियों से भी,
क्योंकि बतलाया ही नहीं तुम्हें कभी
ना तो परिवार-समाज ने और ..
ना ही किसी सिलेबस ने भी कभी।
यूँ झेलती है प्रायः हर रात वो
तुम्हारी बदबूदार बजबजाती
लार से लेकर लिजलिजे वीर्य तक।
ऐसे में लगने लगते हो तुम
मन को उसके ..
पति कम, पतित ज़्यादा,
ख़ाविंद कम, ख़ब्ती ज़्यादा ..शायद ...
नहीं क्या ? .. बोलो ना ! ..
हे नराधम नर ! .. बस यूँ ही ...
{ आज की बतकही पूर्णरूपेण समर्पित है, उन नारियों की कसक को, जो पेशे से तथाकथित आम गृहलक्ष्मी हैं।
भूले से अगर वो सात्विक भी हैं, तब तो उनके लिए ये बतकही कुछ ज़्यादा ही समर्पित है।
बशर्ते .. उन नारियों में से जिस किसी के भी तथाकथित पति परमेश्वर या ख़ुदा जैसे ख़ाविंद तमाम उपरोक्त व्यसनों के या उनमें से किसी भी एक व्यसन के आदी हों।
वैसे तो .. इस बतकही के केन्द्र में केवल बानगी के तौर पर ही एक मांसाहारी दम्पती का चयन किया गया है। परन्तु .. अगर चिंतन किया जाए तो .. कम-से-कम किसी मानव के लिए तो .. मांसाहार भी एक व्यसन ही है .. शायद ...
ये बतकही श्रद्धांजलि (?) भी है .. दुनिया के उन तमाम व्यसनों को और उन व्यसनी पतियों को भी। साथ ही .. उनसे कुछ सवाल भी .. बस यूँ ही ... }
[ कोलाज हेतु चित्र साभार :- सालारजंग संग्रहालय एवं शिल्परामम आर्ट & क्राफ्ट विलेज, हैदराबाद। ]

सबकुछ तो आपने लिख दिया रचना का अर्थ सहित विश्लेषण भी।
ReplyDeleteपरिस्थितियों से घिरी एक स्त्री की मनोदशा का
मर्मस्पर्शी चित्रण करना एक पुरुष की क़लम से,सचमुच संवेदनशील मन का परिचायक है।
बेहद भावपूर्ण अभिव्यक्ति
सादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार ७ नवंबर २०२५ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
जी ! .. सुप्रभातम् सह सादर नमन संग हार्दिक आभार आपका ...
Deleteसटीक
ReplyDeleteजी ! .. सादर नमन संग हार्दिक आभार आपका ...
Deleteआपकी यह रचना हर उन स्त्रियों की उस चुपचाप सहन की गई पीड़ा का दस्तावेज़ है, जो विवाह के नाम पर हर कुछ झेलती चली जाती हैं।
ReplyDeleteआपकी रचना स्त्री की आत्मा की पुकार है—सम्मान, संवेदना और बराबरी की। आपकी रचना केवल एक कविता भर नहीं है, यह एक सामाजिक यक्ष प्रश्न है कि क्या विवाह स्त्री के समर्पण का एकतरफा सौदा है?
जी ! .. सादर नमन संग हार्दिक आभार आपका ...
Deleteप्रश्न (चाहे प्रश्नकर्ता कोई उत्सुक बाल्यावस्था हो या उग्र युवावस्था हो या फिर कोई निरीह पीड़ित प्राणी हो) करना ही तो हमारे बुद्धिजीवियों के पारम्परिक समाज में एक गैर-जमानती गुनाह है .. शायद ...
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteजी ! .. सादर नमन संग हार्दिक आभार आपका ... (अग्रिम क्षमप्रार्थी हूँ .. 8 pm वाले सज्जनों से ) 🙏
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Deleteतन से परे
ReplyDeleteउसके मन को
जाना कब तुमने ?
झिंझोङती अभिव्यक्ति । सादर नमस्ते ।
जी ! .. सादर नमन संग हार्दिक आभार आपका ...
Deleteजी ! .. सादर नमन संग हार्दिक आभार आपका ...
ReplyDeleteप्रश्न (चाहे प्रश्नकर्ता कोई उत्सुक बाल्यावस्था हो या उग्र युवावस्था हो या फिर कोई निरीह पीड़ित प्राणी हो) करना ही तो हमारे बुद्धिजीवियों के पारम्परिक समाज में एक गैर-जमानती गुनाह है .. शायद ...
मर्मस्पर्शी प्रयोग!
ReplyDeleteजी ! .. सादर नमन संग हार्दिक आभार आपका ...
Deleteसुबोध जी ,मन को अंदर तक छू गई आपकी रचना ।
ReplyDeleteजी ! .. इसके लिए आपको मन से नमन संग हार्दिक आभार आपका ...🙏
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