यूँ तो किसी
चुनावी मौसम के
रंगबिरंगे पोस्टरों की
मानिंद मुझे
अपनी उम्र की
बासंती हलचल में
अपने दिल की
दीवार पर
है सजाया
बहुत ख़ूब
तुमने जानाँ ...
पर .. कहीं
कर ना देना
मौसम के
बीतते ही ,
बीतते ही
किसी चुनाव के
लावारिस-से
पोस्टरों के
पीले पड़े
क्षत-विक्षत
हो जाने जैसा ...