Friday, August 9, 2024

बिल्कुल तुम-सा ...



सर्वदा रहे अदृश्य 

पूजे की थाली से,

प्रसाद के रूप में।


रहे नदारद सदा

घर में अमीरों के,

जूस के रूप में।


है मगर ये सिक्त 

सोंधी सुगंध से,

स्निग्ध स्वरूप में।


अंग-अंग रसीला,

बिल्कुल तुम-सा 

कोआ कटहल का।