कल बीते तथाकथित "HUG DAY" के बहाने ...
(१)💝
फीका चाँद ...
गुनगुनी धूप
बसंती बयार
नर्म घास पर
चित लेटा मैं
निहारता
नीला आकाश
आधा चाँद
फीका चाँद ...
आधा-अधूरा
फीका भी
पर आँखों को
भाता .. सुहाता
सुहाना-सा
अधखिले फूल या
आधे-अधूरे
बिन गले मिले
कशिश भरे
प्यार की तरह ...
(२)💝
शीशी में चाँदनी ...
सनम ! ...
शक़ करने से पहले चाहत पर मेरी
सुनो ..
हो सके तो लेकर आना कभी भी
एक ..
छोटी-सी डिबिया में हवा वसंत की
और ..
छोटी-सी शीशी में भर कर चाँदनी ...
(१)💝
फीका चाँद ...
सार्वजनिक उद्यान
ढलती दुपहरीगुनगुनी धूप
बसंती बयार
नर्म घास पर
चित लेटा मैं
निहारता
नीला आकाश
आधा चाँद
फीका चाँद ...
आधा-अधूरा
फीका भी
पर आँखों को
भाता .. सुहाता
सुहाना-सा
अधखिले फूल या
आधे-अधूरे
बिन गले मिले
कशिश भरे
प्यार की तरह ...
(२)💝
शीशी में चाँदनी ...
सनम ! ...
शक़ करने से पहले चाहत पर मेरी
सुनो ..
हो सके तो लेकर आना कभी भी
एक ..
छोटी-सी डिबिया में हवा वसंत की
और ..
छोटी-सी शीशी में भर कर चाँदनी ...