माना मेरे मन की मेंहदी के रोम-रोम ...
पोर-पोर ...रेशा-रेशा ... हर ओर-छोर
मिटा दूँ तुम्हारी .... च्...च् ..धत् ...
शब्द "मिटा दूँ" जँच नहीं रहा ... है ना !?
अरे हाँ ...याद आई ...समर्पण ...
ना .. ना ...आत्मसमर्पण कर दूँ
तुम्हारी मन की हथेलियों के लिए
और तुम सहेजो भी ... संभालो भी उसे
कुछ लम्हों तक बड़ी सजगता के साथ
अपनी मन की हथेलियों पर
बस मन की नर्म हथेलियों पर अपने
अनुराग की लाली की लताओं के
पनप जाने तक ... ठीक जैसे.. बारहा
प्रकृत्ति की तूलिका उकेरती है सुबह-सवेरे
सूरज की लालिमा क्षितिज के पटल पर
पर ये क्या !!! बस ...
कुछ दिनों ...चंद हफ्ते ...महीने बाद
या फिर एक मौसम के बीत जाने पर
हर तीज-त्योहार पर या सावन की फुहार तक ही
और ... फिर से वही रंगहीन हथेलियाँ मन की
सूनी-सूनी-सी रंग उतर जाने के बाद
सोचता हूँ ... चाहता हूँ .. अक़्सर
ऐसे उतर जाने वाले रंग से बेहतर
तुम्हारी मन की बाहों पर
अपनी चाहत का गोदना उकेर देना
अपनी प्रीत के पक्के रंग से ...
जो रहे अमिट ...शाश्वत ... ताउम्र
जैसे हिटलरी फ़रमान के तहत कभी
क़ैदी यहूदियों की कतार में 'लुडविग लेल' ने
गोदा होगा 'गीता फुर्मानोवा' की बाँह पर
अमिट गोदना ताउम्र के लिए और ...
उसी '34902' संख्या वाली गोदना की
वजह से ही तो मिलते रहे ताउम्र वे दोनों
एक-दूसरे से जीवन के हर मोड़ पर ...
मिलते रहेंगें हम दोनों भी वैसे ही ताउम्र ....
अगले जन्म का अनुबन्ध लिए
इस जीवन के हर मोड़ पर ...
पोर-पोर ...रेशा-रेशा ... हर ओर-छोर
मिटा दूँ तुम्हारी .... च्...च् ..धत् ...
शब्द "मिटा दूँ" जँच नहीं रहा ... है ना !?
अरे हाँ ...याद आई ...समर्पण ...
ना .. ना ...आत्मसमर्पण कर दूँ
तुम्हारी मन की हथेलियों के लिए
और तुम सहेजो भी ... संभालो भी उसे
कुछ लम्हों तक बड़ी सजगता के साथ
अपनी मन की हथेलियों पर
बस मन की नर्म हथेलियों पर अपने
अनुराग की लाली की लताओं के
पनप जाने तक ... ठीक जैसे.. बारहा
प्रकृत्ति की तूलिका उकेरती है सुबह-सवेरे
सूरज की लालिमा क्षितिज के पटल पर
पर ये क्या !!! बस ...
कुछ दिनों ...चंद हफ्ते ...महीने बाद
या फिर एक मौसम के बीत जाने पर
हर तीज-त्योहार पर या सावन की फुहार तक ही
और ... फिर से वही रंगहीन हथेलियाँ मन की
सूनी-सूनी-सी रंग उतर जाने के बाद
सोचता हूँ ... चाहता हूँ .. अक़्सर
ऐसे उतर जाने वाले रंग से बेहतर
तुम्हारी मन की बाहों पर
अपनी चाहत का गोदना उकेर देना
अपनी प्रीत के पक्के रंग से ...
जो रहे अमिट ...शाश्वत ... ताउम्र
जैसे हिटलरी फ़रमान के तहत कभी
क़ैदी यहूदियों की कतार में 'लुडविग लेल' ने
गोदा होगा 'गीता फुर्मानोवा' की बाँह पर
अमिट गोदना ताउम्र के लिए और ...
उसी '34902' संख्या वाली गोदना की
वजह से ही तो मिलते रहे ताउम्र वे दोनों
एक-दूसरे से जीवन के हर मोड़ पर ...
मिलते रहेंगें हम दोनों भी वैसे ही ताउम्र ....
अगले जन्म का अनुबन्ध लिए
इस जीवन के हर मोड़ पर ...