करने वाली 'कम्पनी' विशेष कोई
स्वयं के स्वदेशी होने के दावे,
और एक स्वास्थ्यवर्द्धक उत्पाद
सोया 'चिप्स' देने के वादे,
यूँ होते तो हैं जिनमें पर ...
छः प्रतिशत ही मात्र
स्वास्थ्यवर्द्धक सोयाबीन के आटे।
ऐसी ही किसी 'कम्पनी' विशेष के
फूल कर कुप्पा हुए,
आधे से ज्यादा 'नाइट्रोजन गैस' से भरे,
रंगीन विज्ञापनों से सजे-धजे,
उन 'पिल्लो पाउचों' की मानिंद
बारहा नज़र आप भी तो हैं आते,
तमाम 'सोशल मीडिया' पर जब-जब
तमाम बहुरंगी 'सेल्फियाँ' हैं अपनी बिखेरते,
कई सारे 'टैग्स' और 'कैप्शन्स' भरे,
करते हुए भव्य स्वघोषणा स्वयं के
एक सभ्य समाजसेवी होने के,
चंद बच्चों को किसी 'स्लम एरिया' के
चंद 'पैकेट्स' 'बिस्कुट' के बाँटते हुए
या फिर कुछ उन्हीं में से
या फिर सभी मैले-कुचैले
गरीब बच्चों को पास बैठा के पुचकारते हुए
बस ... 'ऑन' रहने तक सामने किसी 'कैमरे' के .. शायद ...