जब 22 जनवरी 2024 को राम मन्दिर के उद्घाटन के दिन अपने देश के प्रधानमंत्री जी ने सोशल मीडिया पर प्रसिद्ध गायक हरिहरन जी द्वारा गाए गए एक राम भजन को साझा किया था, जिसके बोल थे - "सबने तुझे पुकारा श्री राम जी, देना हमें सहारा श्री राम जी", तब तमाम मीडिया वालों ने भी इस प्रकरण को कुछ ज्यादा ही महिमामंडित किया था .. जो ऐसे पावन मौके पर स्वाभाविक भी है। परन्तु ऐसे में तनिक विस्मित करने वाली बात थी .. कला के उसी क्षेत्र से जुड़े एक महान विभूति को हमारा विस्मृत कर देना .. उन प्रसिद्ध धरोहर की लोकप्रियता का आशातीत कम हो जाना .. शायद ...
विश्व भर के हिंदू बहुल देशों में दशकों अपनी प्रभावशाली व भावपूर्ण वाणी के कारण भजन, विशेष कर राम व राम-भक्त हनुमान भजन, के पर्याय बने रहने वाले तथा अपने देश में ही अन्य सम्प्रदाय के लोगों द्वारा भी सुने जाने वाले महान भजन गायक, जो ऑल इंडिया रेडियो (प्रसार भारती) के भजन सम्बन्धित कार्यक्रमों के आजीवन प्राण बने रहे .. जिनको आज की युवा पीढ़ी तो निःसन्देह ही जानती तक नहीं होगी; परन्तु उन स्वर्णिम दशकों के प्रत्यक्षदर्शी रहे हमारे जैसे लोग भी उनको विस्मृत कर चुके हैं। जबकि उन दशकों के अभिनेता-अभिनेत्रियों, राजनेताओं तक को हम बेशक़ आज भी नाम से जानते व पहचानते हैं .. शायद ...
कितनी दुःखद बात है, कि आज हम उन्हीं अद्वितीय महापुरुष - हरि ओम शरण जी को बिसरा चुके हैं। उससे भी दुःखद बात ये है, कि आज तथाकथित सोशल मीडिया के पन्नों पर लोकप्रिय .. किन्तु फूहड़ नृत्यांगना - सपना चौधरी के जितने यूट्यूबस् व व्यूअरस् उपलब्ध है, उतने हरि ओम शरण जी के नहीं .. शायद ...
दरअसल हम अक़्सर अनुभव करते हैं, कि हम अपने जीवन के जिस पहलू को बार-बार तथाकथित सोशल मीडिया पर देखते या 'सर्च' करते हैं; फिर उसी पहलू से जुड़े यूट्यूबस्, रील्स या गूगल न्यूज़ हमारे मोबाइल या डेस्कटॉप पर मंडराने लगते हैं। स्वाभाविक है, कि जब हमने लोकप्रियता की परिभाषा के अपभ्रंश स्वरूप को ही प्रमाणिक मान लिया है, तो ऐसे में सोशल मीडिया के पन्नों पर हरि ओम शरण जी की जगह सपना चौधरी का दिखना लाज़िमी है। वैसे भी वर्तमान में तथाकथित जागरण या माता की चौकी जैसे आयोजनों में प्रायः गाए-बजाए जाने वाले पैरोडीनुमा भजनों ने भक्तिभाव से परिपूर्ण भजनों की लोकप्रियता को कम कर दिया है .. शायद ...
विकिपीडिया पर भी बहुत ही कम जानकारी उपलब्ध है उनके बारे में। परन्तु जो भी जानकारी है, उसके अनुसार उनका जन्म जिस शहर में हुआ था, वह वर्तमान में पाकिस्तान में है। वैसे भी .. अगर हम स्वतंत्रता के समय के विभाजन से जुड़े अनगिनत मार-काट वाले नकारात्मक पक्ष को दरकिनार करके कुछ पल के लिए सकारात्मक पक्ष को निहारते हैं तो .. हम पाते हैं, कि भारतीय गीत-संगीत, साहित्य और सिनेमा को तत्कालीन विस्थापितों का अत्यधिक योगदान मिला है .. शायद ...
आइए .. मिलकर उन दशकों की गुनगुनी गूँज को पुनः अनुभव करके उनके लोकप्रिय राम भजनों की नैया पर अपने जीवन के भवसागर से क्षणिक ही सही, पर .. पार पाते हैं .. बस यूँ ही ...
वैसे उनके भजनों में मुझ जैसे तथाकथित नास्तिक को निजी तौर पर जो सर्वाधिक पसंद है .. वो है ...
और अंत में तथाकथित आस्तिकों के लिए चलते-चलते सुनते हैं .. बस यूँ ही ...
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आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 18 जुलाई 2024 को लिंक की जाएगी ....
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
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जी ! .. नमन संग आभार आपका .. हमारी बतकही को मंच प्रदान करने के लिए ...
Deleteहरिओम शरण
ReplyDeleteबस इतना पर्याप्त है
सादर नमन
जी ! .. सुप्रभातम् सह सादर नमन संग आभार आपका ..
Delete" हरिओम शरण
बस इतना पर्याप्त है " - .. शायद ...
नास्तिक/आस्तिक/ स्व्यं ईश्वर के राम अलग अलग पहचान । जय श्री राम । सुन्दर भजन।
ReplyDeleteजी ! .. नमन संग आभार आपका .. राम तो हमारे रोम-रोम हैं .. शायद ...
Deleteबचपन से हम हरिओम शरण के गाये सुंदर कर्णप्रिय भजन सुनते आये हैं, आज भी सुबह के रेडियो कार्यक्रम में यदाकदा सुनने को मिल जाते हैं पर यकीनन पहले की भाँति नहीं
ReplyDeleteजी ! .. नमन संग आभार आपका ...
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