Saturday, March 23, 2024

खुसुर-फुसुर ...


ऐ जानम ! ..

आओ ना आज ..

आज की रात ..

मिलकर साथ-साथ ..

छत पर चाँदनी में

डुबकी लगायी जाए

और डाले हुए गलबहियाँ

खुसुर-फुसुर की जाए ..

सारी-सारी रात 

बातें आपसी प्रेम भरी .. बस यूँ ही ...


पास आयेंगे भी जो

हम दोनों तो ..

इतने पास कि ..

बस्स .. गूँथ ही जाएँ 

एक-दूजे में

पपनियाँ हमारी,

ताने-बाने की तरह 

और बुन ही डालें

इक चटाई 

हमारे सतरंगी सपनों की .. बस यूँ ही ...

वस्तु (चित्र ) सौजन्य - "निफ्ट " हैदराबाद )

6 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 25 मार्च 2024 को लिंक की जाएगी ....  http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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    1. जी ! .. नमन संग आभार आपका .. अपनी प्रस्तुति के ग़लीचे पर हमारी बतकही की टुटही चटाई बिछाने के लिए .. बस यूँ ही ...

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  2. बने रहें सतरंगी रंग और चली रहे खुसुर पुसुर | होली शुभ हो |

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  3. जी ! .. नमन संग आभार आपका .. आपकी शुभकामना के लिए .. साथ ही आपको रंग-भाँग, माँस-मदिरा, छेड़छाड़ व गुझिए-मालपुए-दहीबड़े से परे .. सौहार्द्र-स्नेह के रंगों वाली होली की .. सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएँ 🙏

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  4. वाह , सुंदर खुसुर पुसुर ।

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    1. जी ! .. नमन संग आभार आपका ...

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