यूँ तो किसी
चुनावी मौसम के
रंगबिरंगे पोस्टरों की
मानिंद मुझे
अपनी उम्र की
बासंती हलचल में
अपने दिल की
दीवार पर
है सजाया
बहुत ख़ूब
तुमने जानाँ ...
पर .. कहीं
कर ना देना
मौसम के
बीतते ही ,
बीतते ही
किसी चुनाव के
लावारिस-से
पोस्टरों के
पीले पड़े
क्षत-विक्षत
हो जाने जैसा ...
वाह!सुबोध जी ,बहुत खूब !
ReplyDeleteजी ! नमन संग आभार आपका ...
Deleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 06 फरवरी 2021 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद! आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 06 फरवरी 2021 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteजी ! नमन संग आभार आपका ...
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (07-02-2021) को "विश्व प्रणय सप्ताह" (चर्चा अंक- 3970) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
"विश्व प्रणय सप्ताह" की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ-
--
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
--
जी ! नमन संग आभार आपका ...
Deleteचुनाव के
ReplyDeleteलावारिस-से
पोस्टरों के
पीले पड़े
क्षत-विक्षत
हो जाने जैसा ...
बेहतरीन...
जी ! नमन संग आभार आपका ...
Deleteवाह
ReplyDelete:)
Deleteबहुत ही सुन्दर कृति।
ReplyDeleteजी ! नमन संग आभार आपका ...
Deleteबहुत खूब सुबोध जी 🌹🙏🌹
ReplyDeleteजी ! नमन संग आभार आपका ...
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDelete🌻
जी ! नमन संग आभार आपका ...
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