रंगों या सुगंधों से फूलों को तौलना भला क्या,
काश होता लेना फलों का ज़ायका ही जायज़ .. शायद ...
यूँ मार्फ़त फूलों के होता मिलन बारहा अपना,
पर डाली से फूल को जुदा करना है नाजायज़ .. शायद ...
धमाके, आग-धुआँ, क़त्लेआम और बलात्कार,
इंसानी शक्लों में हैं हैवानों-सी सदियों से रिवायत..शायद ...
बारूदी दहक में पसीजते मासूम आँखों से आँसू,
ये हैं भला यूँ भी कैसे तरक्क़ी पसंदों के क़वायद .. शायद ...
किसी की माँ या बहन या पत्नी होती है औरत,
बनने से पहले या बनने के बाद भी वो तवायफ़ .. शायद ...
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर सोमवार 04 अप्रैल 2022 को लिंक की जाएगी ....
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
जी ! नमन संग आभार आपका .. आज की अपनी प्रस्तुति में मेरी बतकही को जगह देने के लिए .. वो भी दो-दो मंचों पर ...
Deleteनमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार 04 अप्रैल 2022 ) को 'यही कमीं रही मुझ में' (चर्चा अंक 4390 ) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद आपकी प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
जी ! नमन संग आभार आपका .. आज की अपनी प्रस्तुति में मेरी बतकही को जगह देने के लिए .. वो भी दो-दो मंचों पर ...
Deleteव्वाहहहहह
ReplyDeleteग़जब की सोच..
आभार..
जी ! नमन संग आभार आपका ...
Deleteज़िन्दगी से रु ब रु होते हुए हर एक बात रखी है .... मन को छू गयी हर पंक्ति ।
ReplyDeleteजी ! नमन संग आभार आपका ...
Deleteवाह! और सिर्फ वाह!!
ReplyDeleteजी ! नमन संग आभार आपका ...
Deleteबहुत बढ़ियाँ
ReplyDeleteजी ! नमन संग आभार आपका ...
Deleteसुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteजी ! नमन संग आभार आपका ...
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