'एडिट' करना भी कभी,
'फोटोशॉप एक्सप्रेस' से
मन की बातों को।
सिखला दो ना जरा
'डिलीट' करना भी कभी,
मन की 'गैलरी' से
तुम्हारी यादों को।
सिखला दो ना जरा
'रीसायकल बिन' भरना भी कभी,
ताकी कर सकूँ दफ़न
तुम्हारी बीती रूमानी बातों को।
सिखला दो ना जरा
'एम्प्टी' करना भी कभी
'रीसायकल बिन', मिटा दे जो
तुम्हारे अर्थहीन वादों को।
सिखला दो ना जरा
'अनडू' करना भी कभी,
संग बीते लम्हों की
शरारती हरकतों को।
सिखला दो ना जरा
'सेव' करना भी कभी,
उन जवान पलों की
हरकतों की हरारतों को।
सिखला दो ना जरा
'मैट्रिमोनियल साइट्स' देखना भी कभी,
भरे असंख्य बेहतर विकल्पों से,
तोड़ के संग किए प्रेम-संकल्पों को .. बस यूँ ही ...
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" शनिवार 13 जुलाई 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
ReplyDeleteजी ! .. सुप्रभातम् सह नमन संग आभार आपका .. मेरी बतकही को मंच देने के लिए .. बस यूँ ही ...😊
Deleteजी ! .. सुप्रभातम् सह नमन संग आभार आपका .. मेरी बतकही को मंच देने के लिए .. .. बस यूँ ही ...😊
Deleteवाह
ReplyDeleteजी ! .. सुप्रभातम् सह नमन संग आभार आपका .. बस यूँ ही ...😊
ReplyDeleteआधुनिक बिंबों से सजी सुंदर रचना
ReplyDeleteजी ! .. नमन संग आभार आपका ...
Deleteसुन्दर
ReplyDeleteजी ! .. नमन संग आभार आपका ...
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