प्रिया संग मानसिक संवाद ...
समय आया बुरा बिखराने के लिए शायद
संबंधों के सगे होने के सारे लगाए क़यास।
बिखरते हैं आँधियों में दुर्बल डालों के नीड़
मानो कर के बेकार पंछियों के सारे प्रयास।
कुछ संबंधों जैसे छूटे गंध औ स्वाद, तब भी
प्रिया संग जारी मानसिक संवाद, हो उदास।
बिस्तर भर सिमटा-फैला है जीवन-विस्तार,
डगमग-डगमग है सारा दिनचर्या विन्यास।
हर क्षण संविधान के अनुच्छेद चौदह वाले
समानता के अधिकार का टूट रहा विश्वास।
डाल से लटका आख़िरी पत्ता भी गिरा रहा,
वो झोंका बंजारा-आवारा हवा का बिंदास।
लाचार हैं हम, हुए असमर्थ संत्राण भी सारे
दूर करने में इन दिनों बींधते हुए ये संत्रास।
बन रहा आए दिन .. कभी कोई पड़ोसी या
कभी सगा भी महामारी कोरोना का ग्रास।
कोरोना की भयंकर शारीरिक-मानसिक पीड़ा को झेलकर भी प्रिया संग मानसिक संवाद भावनाओं की प्रखरता का परिचायक है। हृदय से जुड़े व्यक्ति से आंतरिक व्यथा कह देना असह्य वेदना से त्राण पाने सरीखा है बाकी सब अपनी जगह कायम हैं।कोरोना की विभीषिका। का जीवंत चित्र उकेर दिया आपने। भावपूर्ण अभिव्यक्ति जो अत्यंत सराहनीय है। हार्दिक शुभकामनाएं।
ReplyDeleteजी ! नमन संग आभार आपका ...
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना शुक्रवार २१ मई २०२१ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
जी ! नमन संग आभार आपका ...
Deleteलाचार हैं हम, हुए असमर्थ संत्राण भी सारे
ReplyDeleteदूर करने में इन दिनों बींधते हुए ये संत्रास।
बन रहा आए दिन .. कभी कोई पड़ोसी या
कभी सगा भी महामारी कोरोना का ग्रास।---बहुत गहरी रचना है, चिंतन को विवश करती हुई।
जी ! नमन संग आभार आपका ...
Deleteकोरोना से जंग लड़ाते हुए मानसिक संवाद ही है जो वक़्त गुजरने का साधन है । न जाने हर पल क्या क्या संवाद करता रहता है , प्रिया के साथ और आत्मिक लोगों से भी ।
ReplyDeleteकठिन परिस्थिति में भी आप संवाद संभव कर पा रहे हैं ये बहुत अच्छी बात है ।
आपके स्वास्थ्य के लिए मंगल कामनाएँ ।शीघ्र स्वस्थ हों और फिर मानसिक संवाद नहीं आमने सामने बैठ बातें करें ।
जी ! नमन संग आभार आपका ...
Deleteयह संवाद अभी हर कोई के जहन में है। वर्तमान भावों को आपने बहुत बेहतर ढंग से प्रस्तुत किया है।
ReplyDeleteजी ! नमन संग आभार आपका ...
Deleteकैसे हैं आज आप,
ReplyDeleteजल्द बाहर आइए
नहीं कह सकता..
अंदर ही रहिए..
टीका लगवाइए..
टिप्पणी करते रहिए..
सादर..
जी ! नमन संग आभार आपका ... क़ुदरत की करामात और आप सबों की प्रत्यक्ष या परोक्ष शुभकामनाओं से पहले से बहुत बेहतर हूँ ...
Deleteनिकल लेगा ये समय भी।
ReplyDeleteजी ! नमन संग आभार आपका ...
Deleteजी सही ! समय तो कभी भी नहीं थमता। पर जाने कितनों को असमय निकल ले गया अपने साथ-साथ ...
भावपूर्ण और अच्छा सृजन
ReplyDeleteजी! नमन संग आभार आपका ...
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