(1) निरीह "कलावती"
"कलावती" के पति के
जहाज़ को डुबोने वाले,
चाय लदी जहाज़ भी
कलुषित फ़िरंगियों के
एक-दो भी तो डुबोते,
भला क्यों नहीं डुबाए तुमने ?
【कलावती = सत्यनारायण व्रतकथा की एक पात्रा】
(2) "गिरमिटिया" के राम
अपनी भार्या के
अपहरण-जनित वियोग में,
हे अवतार ! तुम रोते-बिलखते
उसकी ख़ोज में तो फ़ौरन भागे,
पर कितनी ही सधवाएँ
ताउम्र विधवा-सी तड़पती रही
और मीलों दूर वो "गिरमिटिया" भी,
फिर भी भला तुम क्यों नहीं जागे ?
【गिरमिटिया = अंग्रेज़ों ने हमारे पुरखों को गुलामी की शर्त पर वर्षों तक जहाज में भर-भर कर धोखे से विदेश भेजे, जिनमें हमारे लोग ही "आरकटिया" बन कर हमारे लोगों को ही ग़ुलाम/बंधुआ मज़दूर बनाते रहे। इन मज़दूरों को ही "गिरमिटिया" की संज्ञा मिली। गिरमिट शब्द अंग्रेज़ी के `एग्रीमेंट/Agreement' शब्द का अपभ्रंश बताया जाता है।】
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 11
ReplyDeleteनवंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जी ! नमस्कार आपको संग आभार आपका ...
Deleteसुन्दर सृजन
ReplyDeleteजी ! आभार आपका ...
Deleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 12.11.2020 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी|
ReplyDeleteधन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क
जी ! आभार आपका ...
Deleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 12 नवंबर 2020 को साझा की गयी है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteजी ! आभार आपका ...
Deleteबहुत बढ़िया।
ReplyDeleteजी ! आभार आपका ...
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