आज शरद पूर्णिमा के पावन अवसर पर ....
(१) होठों की तूलिका
आज सारी रात
शरद पूर्णिमा की चाँदनी
मेरी बाहों का चित्रफलक
तुम्हारे तन का कैनवास
मेरे होठों की तूलिका
आओ ना ! ..
आओ तो ...
रचें दोनों मिलकर
एक मौन रचना
'खजुराहो' सरीखा ...
( चित्रफलक - Easel,
कैनवास - Canvas,
तूलिका - Painting Brush ).
(२) चाहतों की मीनार
मैं
तुम्हारे
सुकून की
नींव बन जाऊँ
तुम
मेरी
चाहतों की
मीनार बन जाना ...
(३) मन की कंदरा ...
माना कि ..
है रौशन
चाँद से
बेशक़
ये सारा जहाँ ...
पर एक अदद
जुगनू है बहुत
करने को
रौशन
मन की कंदरा ...
लिखते रहें, मन को छू गया ,
ReplyDeleteजी ! आभार आपका ...
Deleteवाह
ReplyDeleteजी ! आभार आपका ...
Deleteसुन्दर सरल लेखनी
ReplyDeleteजी ! पुनः आभार आपका ...
Deleteबहुत सुंदर सृजन।
ReplyDeleteजी ! आभार आपका ...
Deleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 31 अक्टूबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteजी ! आभार आपका ...
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