साहिब !!! ...
हवाई सर्वेक्षण के नाम पर
उड़नखटोले में आपका आना
और मंडराना मीलों ऊपर आसमान में
हमारी बेबसी और लाचारगी के।
करना सर्वेक्षण .. अवलोकन ..
आकाश में बैठे किसी
तथाकथित भगवान की तरह
क़ुदरती विनाश लीला वाले
रौद्र रूप धरे तांडव नृत्य के।
हमारे हाल बेहाल .. बदहाल .. फटेहाल
और आपके सर्वेक्षण रिपोर्ट के
आधार पर मिले राहत कोष की
बन्दरबाँट चलती है साल दर साल,
हालात हर बार होते हैं बेहतर आपके।
पर साहिब !! .. आइए .. निहारिये ना एक बार ..
हमारी बेबस बर्बादी के अवशेष,
वीरान हुए .. बहे खेत-खलिहान,
बची-खुची .. टूटी-फूटी मड़ई के शेष,
और रौंदने के बाद के कई-कई भयावह मंज़र
गुजरे उफनते सैलाबों के पद-चिन्हों के।
जीना मुहाल, खाने के लाले,
लाले की उधारी के भरोसे जीवन को हम पालें,
पर गुजरे सैलाब के पद चिन्ह पर आई कई बीमारियाँ,
महामारियाँ भला हम कैसे टालें ?
ऐसे में बेबस, लाचार हम मन को बहलाने के लिए
बस मन ही मन में बुदबुदा कर दोहरा लेते हैं कि -
"सीता राम, सीता राम, सीताराम कहिये,
जेहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिये।"
साहिब !!!!! ... आप भी तो कुछ कहिए ! ...
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (02-08-2020) को "मन्दिर का निर्माण" (चर्चा अंक-3781) पर भी होगी।
ReplyDelete--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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जी ! आभार आपका ...
Deleteपर साहिब !! .. आइए .. निहारिये ना एक बार ..
ReplyDeleteहमारी बेबस बर्बादी के अवशेष,
वीरान हुए .. बहे खेत-खलिहान,
बची-खुची .. टूटी-फूटी मड़ई के शेष,
और रौंदने के बाद के कई-कई भयावह मंज़र
गुजरे उफनते सैलाबों के पद-चिन्हों के। बेहद हृदयस्पर्शी रचना
जी ! आभार आपका ...
Deleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 03 अगस्त 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteजी ! आभार आपका ...
Deleteबहुत सुंदर।
ReplyDeleteजी ! आभार आपका ...
Deleteसुन्दर सृजन।
ReplyDeleteजी ! आभार आपका ...
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