*(१)* -
अपनी अभिव्यक्ति की छटपटाहट को
शब्दों में बाँधने के लिए आज
26 जनवरी के ब्रम्हमुहूर्त में
उनींदापन में एक लम्बी जम्हाई लेता
कागज़ .. कलम उठाया और ..
विषय-विशेष की उधेड़बुन में
अपना अबोध दिमाग खपाया ...
दरवाजे पर मेरे तभी दस्तक हुई
पूछा मैंने –
“कौन!?..... कौन है भाई?”
मिला उत्तर –
“मैं .. मैं राजतंत्र”
चौंका मैं –
“ राजतंत्र !? ... कभी भी नहीं ... आज हीं तो
अपने गणतंत्र दिवस की सालगिरह है भाई”
दरवाजे के पार कुछ खुसुर-फुसुर तभी पड़ी सुनाई
हो हैरान पूछा पुनः मैंने –
“दूसरा कौन है यार !?”
उत्तर आया –
“मैं .. मैं भी हूँ साथ में ... भ्रष्टाचार ..."
*(२)* -
कभी लुटेरों ने दिया ज़ख़्म
तो कभी मिली ग़ुलामी की चोट
कभी बँटवारे का छाया मातम
तो कभी जनरक्षकों की लूट खसोट
गणतंत्र है फिर भी अपने भारत में आज
हम भी तो हैं स्वतंत्र आज मेरे भाई
फहराते हैं तिरंगा .. गाते हैं राष्ट्रगान
मनाते हैं 26 जनवरी .. बाँटते हैं मिठाई ...
*(३)* -
कुछ तिरंगे
कुछ जलेबियाँ
कुछ परेड
कुछ झाकियाँ
मन गया गणतंत्र दिवस
और भला क्या चाहिए
बस .. बस ..बस ...
अपनी अभिव्यक्ति की छटपटाहट को
शब्दों में बाँधने के लिए आज
26 जनवरी के ब्रम्हमुहूर्त में
उनींदापन में एक लम्बी जम्हाई लेता
कागज़ .. कलम उठाया और ..
विषय-विशेष की उधेड़बुन में
अपना अबोध दिमाग खपाया ...
दरवाजे पर मेरे तभी दस्तक हुई
पूछा मैंने –
“कौन!?..... कौन है भाई?”
मिला उत्तर –
“मैं .. मैं राजतंत्र”
चौंका मैं –
“ राजतंत्र !? ... कभी भी नहीं ... आज हीं तो
अपने गणतंत्र दिवस की सालगिरह है भाई”
दरवाजे के पार कुछ खुसुर-फुसुर तभी पड़ी सुनाई
हो हैरान पूछा पुनः मैंने –
“दूसरा कौन है यार !?”
उत्तर आया –
“मैं .. मैं भी हूँ साथ में ... भ्रष्टाचार ..."
*(२)* -
कभी लुटेरों ने दिया ज़ख़्म
तो कभी मिली ग़ुलामी की चोट
कभी बँटवारे का छाया मातम
तो कभी जनरक्षकों की लूट खसोट
गणतंत्र है फिर भी अपने भारत में आज
हम भी तो हैं स्वतंत्र आज मेरे भाई
फहराते हैं तिरंगा .. गाते हैं राष्ट्रगान
मनाते हैं 26 जनवरी .. बाँटते हैं मिठाई ...
*(३)* -
कुछ तिरंगे
कुछ जलेबियाँ
कुछ परेड
कुछ झाकियाँ
मन गया गणतंत्र दिवस
और भला क्या चाहिए
बस .. बस ..बस ...
तीनों रुप अभिव्यक्ति के लाज़वाब है।
ReplyDeleteगणतंत्र है या है राजतंत्र
लुटेरे बाँट रहे बँटवारा मंत्र
बची समृद्धि नोंच रहे गिद्ध
कहो न हम कैसे हुये स्वतंत्र?
आभार आपका ...
Deleteसादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार(28-01-2020 ) को " चालीस लाख कदम "(चर्चा अंक - 3594) पर भी होगी
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का
महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
...
कामिनी सिन्हा
सर्वप्रथम नमन आपके इस नए चर्चाकार वाले रूप को और बधाई भी ... साथ ही आभार .. पहला दिन ही मेरी रचना को अपने चर्चा वाले अंक में चर्चा-मंच के मंच पर साझा करने के लिए ...
Deleteसटीक विवेचना
ReplyDeleteआभार आपका ...
Delete
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में ‘बुधवार 29 जनवरी 2020 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जी! आभार आपका ...
Deleteसुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteजी ! रचना की प्रशंसा के लिए आभार ...
Deleteवाह!!!!
ReplyDeleteशानदार...
जी ! आभार आपका ...
Deleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 15 जून 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteजी ! आभार आपका और आपके मंच का यशोदा बहन ...
Deleteवाह!बहुत खूब!
ReplyDeleteजी ! आभार आपका ...
Delete