गत तीन दिनों में प्रस्तुत तीन भागों में लम्बी भूमिकाओं :-
ना 'सिरचन' मरा, ना मरी है 'बुधिया' ... -(भाग-१).
ना 'सिरचन' मरा, ना मरी है 'बुधिया' ... -(भाग-२).
और
ना 'सिरचन' मरा, ना मरी है 'बुधिया' ... -(भाग-३).
के बाद ... आज बस .. अब .. कल के वादानुसार आइए .. कुछ भी कहते-सुनते (लिखते-पढ़ते) नहीं हैं .. बल्कि हम मिलकर देखते हैं .. मुंशी प्रेमचंद जी की मशहूर कहानी- कफ़न पर आधारित एक लघु फ़िल्म .. हम प्रशिक्षुओं का एक प्रयास भर .. इस "ना 'सिरचन' मरा, ना मरी है 'बुधिया' ... -(भाग-४)." - अंतिम भाग में .. बस यूँ ही ...
(फ़िल्म कफ़न का 'लिंक' - " कफ़न "या इस ब्लॉग के View web version को click करने से मिल जाएगा।)
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" शुक्रवार 10 सितम्बर 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteजी ! नमन संग आभार आपका ...
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