Thursday, March 9, 2023

बीते पलों-सी .. शायद ...

सुनता था,

अक़्सर ..

लोगों से, कि ..

होता है

पाँचवा मौसम

प्यार का .. शायद ...

इसी ..

पाँचवे मौसम की तरह

तुम थीं आयीं

जीवन में मेरे कभी .. बस यूँ ही ...


सुना था ..

ये भी कि ..

कुछ लोग

जाते हैं बदल अक़्सर 

मौसमों की तरह .. शायद ...

तुम भी उन्हीं

मौसमों की तरह अचानक .. 

यकायक .. 

ना जाने क्यों 

बदल गयीं .. बस यूँ ही ...


अब ..

उन लोगों का भी

भला ..

क्या है बावली ..

बोलो ना !

लोग तो बस

कहते हैं कुछ भी,

करते हैं बदनामी

बेवज़ह मौसम की,

आदत जो उनकी ठहरी .. बस यूँ ही ...


क्योंकि .. 

अब देखो ना ...

मौसम तो कई बार ..

बार-बार .. बारम्बार ..

जाते हैं .. आते हैं ...

आते हैं .. जाते हैं .. बस यूँ ही ...

लेकिन .. जा कर एक बार,

फिर एक बार भी

लौटी ना तू कभी ..

बीते पलों-सी .. शायद ...