Wednesday, April 7, 2021

बस्ती में बच्चों को ...

यूँ पंछियों को निहारता घंटों, है सहलाता लावारिस पशुओं को भी,
पर सिर झुकाता नहीं 'मूक' के आगे,समझते हैं सब उसे सिरफिरा।

करता रहता है अक़्सर वह बातें अपने मरने पर देहदान करने की,
कहते हैं सब कि मर कर भी करेगा ब्रह्मभोज का मजा किरकिरा।

जाता है कबाड़ी ले के मुहल्ले से अक़्सर खाली बोतलें शराब की,
कहते हैं पर लोग कि.. प्रदेश में अपने क़ानूनन अपराध है मदिरा।

सन् 1947 ईस्वी हो या फिर ए. के. 47, ये जो 47 है ना साहिब!
अक़्सर ही सजाता रहा है मौत और मातम का बेहिसाब ज़खीरा।

यूँ तो मुखौटों में रसूखदार हैं कई, कोई पारदर्शी शक्ल में अकेला,
किसी कव्वाली में बजाता ही कौन है भला कभी भी यहाँ मंजीरा।

नवाज़े जाते हैं नाजायज़ रिश्ते के नाम से हरेक वो रिश्ते आज यहाँ,
पाती हैं जिनके लिए दुनिया में मान अक़्सर, राधा हो या फिर मीरा।

समझ पाते नेक इंसानों को तो खोजते नहीं मूक मूर्तियों में मसीहा,
मानो 'पैलेडियम' को जाने बिन,बेशकीमती लगा हमें सदा ही हीरा।

हर दिन वेश्याओं की बस्ती में बच्चों को पढ़ाने जाना भूलता नहीं,
समझते रहें लाख उसे शहर वाले भले ही आदमी निहायत गिरा।


{ 'पैलेडियम' (Palladium) = सर्वविदित है कि अब तक आवर्त सारणी (Periodic Table) में 118 तत्वों (Elements) को स्थान मिल चुका है ; जिनमें 'पैलेडियम' दुनिया में अब तक की वैज्ञानिक खोज या जानकारी के अनुसार - विश्व की सबसे क़ीमती धातु है। जिसकी ख़ोज अंग्रेज रसायनज्ञ विलियम हैड वल्लस्टन (William Hyde Wollaston) ने सन् 1803 ईस्वी में की थी। }