Friday, May 1, 2020

मजदूरिन दिवस

आज शोर है .. बहुत साहिब .. है ना ?
शायद .. आज मज़दूर दिवस है .. है ना ?
बैंक बंद .. बड़े-बड़े संस्थान बन्द
फैक्टरियाँ भी हैं बंद ... है ना ?
वैसे तो हैं बन्द ढेरों काम कई दिनों से
लॉकडाउन के कारण भी .. है ना ?

पर लगता है अब तक उतरी नहीं तुम्हारी
एक अप्रैल की अप्रैल-फूल वाली ख़ुमारी
तभी तो आज आप एक मई को भी
चटका रहे नसें साहिब हम सब की
मना रहे कई दिनों से लॉकडाउन में जब कि
बैठे ठाले मज़दूर दिवस हम मज़दूर सभी .. है ना ?

और हाँ ... मनाओगे कब भला साहिब
पुरुष-प्रधान समाज में आप सभी
मिल कर एक बार मजदूरिन दिवस भी
रोज़ चूल्हे की भट्ठी में खुद को जो झोंक रही
ढो रही बोझ आज के दिन भी अपने कोख़ की
पाल रही जिनमें तुम्हारी अगली पीढ़ी की कड़ी
एक बार तो सोचो उनके बारे में भी सही
मनाओगे ना साहिब मजदूरिन दिवस भी? ... है ना ?






6 comments:

  1. मजदूर दिवस को सार्थक करती सुन्दर प्रस्तुति।

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    1. नमन सर ! आभार आपका ...

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    1. काश ! सार्थक उत्तर भी दे पाते हम ...

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  3. और हाँ ... मनाओगे कब भला साहिब
    पुरुष-प्रधान समाज में आप सभी
    मिल कर एक बार मजदूरिन दिवस भी
    रोज़ चूल्हे की भट्ठी में खुद को जो झोंक रही
    ढो रही बोझ आज के दिन भी अपने कोख़ की
    पाल रही जिनमें तुम्हारी अगली पीढ़ी की कड़ी
    एक बार तो सोचो उनके बारे में भी सही
    मनाओगे ना साहिब मजदूरिन दिवस भी? ... है ना ?
    यहाँ महिलाओं के कामों की कोई अहमियत हो तो माने न कोई उनका भी दिन....वो कितना भी करे तो भी यही सुनेगी करती क्या हो तुम...
    बहुत सुन्दर सार्थक लाजवाब सृजन।

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    1. जी ! नमन आपको और आभार आपका इस रचना/विचार की आत्मा को स्पर्श करने के लिए ...

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