स्नेह, प्रेम और श्रद्धा हैं
तीनों प्रेम के तीन आयाम
बचपन, जवानी और बुढ़ापा
हैं जैसे जीवन के तीन सोपान
या कठोपनिषद् के तथाकथित
पात्र नचिकेता का यमराज से
मानो मांगे गए तीन वरदान ...
है प्रेम आज भी गूढ़ और रहस्यमयी
आयतनरहित .. परिभाषा अनगिनत
मानो आत्मा के रहस्य वाला
नचिकेता का मांगा गया तीसरा वरदान
संज्ञान है विज्ञान का कि प्रेम है बस
तन की परखनली में पकता
साँसों की धौंकनी पर
तप्त रक्त के ताप से
चार रसायनों - टेस्टोस्टेरोन, डोपामाइन,
एड्रॉलिन और सेरोटॉनिन का कॉकटेल
और कॉकटेल का नशा कुछ ऐसा कि ...
शब्द "प्रेम" सुनते ही है होता
"कुछ-कुछ" या सच कहें तो
"बहुत कुछ" का विस्तार
मानो हो जैसे "ॐ" उच्चारने से
बदन में ऊर्जा का संचार
यूँ तो कभी पाना है प्रेम .. कभी खोना है प्रेम
कभी अपनाना है प्रेम .. तो
कभी मजबूरीवश ठुकराना है प्रेम
ऑनर किलिंग हो तो खतरा है प्रेम
या फिर डोपामाइन का क़तरा है प्रेम
किसी से लिपटना है प्रेम
या किसी से बिछुड़ना है प्रेम
कभी आग़ोश है प्रेम .. कभी बिछोह है प्रेम
कभी ऊर्जा है प्रेम तो .. कभी वर्षा है प्रेम
युगों रहा है .. आगे भी रहेगा निरन्तर
कुछ अंधों का हाथी टटोलना जैसा ही प्रेम ...
तीनों प्रेम के तीन आयाम
बचपन, जवानी और बुढ़ापा
हैं जैसे जीवन के तीन सोपान
या कठोपनिषद् के तथाकथित
पात्र नचिकेता का यमराज से
मानो मांगे गए तीन वरदान ...
है प्रेम आज भी गूढ़ और रहस्यमयी
आयतनरहित .. परिभाषा अनगिनत
मानो आत्मा के रहस्य वाला
नचिकेता का मांगा गया तीसरा वरदान
संज्ञान है विज्ञान का कि प्रेम है बस
तन की परखनली में पकता
साँसों की धौंकनी पर
तप्त रक्त के ताप से
चार रसायनों - टेस्टोस्टेरोन, डोपामाइन,
एड्रॉलिन और सेरोटॉनिन का कॉकटेल
और कॉकटेल का नशा कुछ ऐसा कि ...
शब्द "प्रेम" सुनते ही है होता
"कुछ-कुछ" या सच कहें तो
"बहुत कुछ" का विस्तार
मानो हो जैसे "ॐ" उच्चारने से
बदन में ऊर्जा का संचार
यूँ तो कभी पाना है प्रेम .. कभी खोना है प्रेम
कभी अपनाना है प्रेम .. तो
कभी मजबूरीवश ठुकराना है प्रेम
ऑनर किलिंग हो तो खतरा है प्रेम
या फिर डोपामाइन का क़तरा है प्रेम
किसी से लिपटना है प्रेम
या किसी से बिछुड़ना है प्रेम
कभी आग़ोश है प्रेम .. कभी बिछोह है प्रेम
कभी ऊर्जा है प्रेम तो .. कभी वर्षा है प्रेम
युगों रहा है .. आगे भी रहेगा निरन्तर
कुछ अंधों का हाथी टटोलना जैसा ही प्रेम ...
ReplyDeleteजी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
१४ अक्टूबर २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।,
हार्दिक आभार आपका ....
Deleteहै प्रेम आज भी गूढ़ और रहस्यमयी
ReplyDeleteआयतनरहित .. परिभाषा अनगिनत
मानो आत्मा के रहस्य वाला
नचिकेता का मांगा गया तीसरा वरदान
बहुत खूब प्रेम को कुछ अलग नजरिये से परिभाषित करती लाजबाब रचना ,सादर
हार्दिक आभार आपका ...
Deleteबेहतरीन रचना।
ReplyDeleteहार्दिक आभार ...
Deleteकभी आग़ोश है प्रेम .. कभी बिछोह है प्रेम
ReplyDeleteकभी ऊर्जा है प्रेम तो .. कभी वर्षा है प्रेम
युगों रहा है .. आगे भी रहेगा निरन्तर
कुछ अंधों का हाथी टटोलना जैसा ही प्रेम ... बेहतरीन प्रस्तुति
आपकी निष्पक्ष सराहना के लिए आपका आभार ...
Deleteकभी आग़ोश है प्रेम .. कभी बिछोह है प्रेम
ReplyDeleteकभी ऊर्जा है प्रेम तो .. कभी वर्षा है प्रेम
युगों रहा है .. आगे भी रहेगा निरन्तर
कुछ अंधों का हाथी टटोलना जैसा ही प्रेम ...
वाह!!!
बहुत ही सुन्दर...
आपका हार्दिक आभार और नमन ...आप जैसी स्थापित और साहित्यकार लोगों का अवलोकन ही बहुत है, ऊपर से सराहना के शब्द ...
Deleteअद्भुत सृजन
ReplyDeleteहार्दिक आभार ...
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