Friday, August 9, 2019

किसी दरवेश के दरगाह से

मेरी अतुकान्त कविताओं की
बेतरतीब पंक्तियों में
हर बार तुम
आ ही जाती हो
अपने बिखरे बेतरतीब
महमहाते बालों की तरह

और तुम्हारी
अतुकान्त कविताओं में
अक़्सर मैं
बेतुका बिम्ब गढ़ता-सा
अपनी बेतुकी
सोचों की तरह

मानो ... कहीं पास से ही
किसी दरवेश के
दरगाह से अक़्सर
सुलगती अगरबत्तियों के
सुगन्धित धुएँ के साथ
मन्नतों के पूरी होने के बाद
चढ़ाई गई बेली-चमेली की बुनी
चादरों की लिपटी ख़ुश्बूएँ  ...

बस आ ही जाती हों
बंद कमरों में भी
खुले रोशनदानों से
हवा के झोंको के साथ
मज़हबी बेमतलब की
बातों में बिना भेद किये

ऐसे में ... बोलो ना भला..
जरुरी तो नहीं कि ...
इन सुगन्धों के लिए
क़रीब जाकर उस
दरगाह की सीढ़ियों पर
बैठा ही जाए ...

12 comments:

  1. जी नमस्ते,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (11-08-2019) को " मुझको ही ढूँढा करोगे " (चर्चा अंक- 3424) पर भी होगी।


    --

    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।

    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है

    ….

    अनीता सैनी

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    1. महोदया !
      मेरे शब्दों के संकलन को "मुझको ही ढूँढा करोगे" जैसे ब्लॉग में साझा कर के ये मान देने के लिए आभार आपका ....

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  2. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 10 अगस्त 2019 को साझा की गई है........."सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद

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    1. धन्यवाद तो आपका जो ... मेरी रचना को इतना मान दे रहीं हैं "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" में आज साझा कर के ... आभार आपका

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  3. ज़ज्बातों को उकेरती हुयी,दिल छू जाने वाली रचना है

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  4. दिल को छू जाने वाले विश्लेषण के लिए शुक्रिया आपका ....

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  5. बेहद रुमानी एहसास गूँथे है आपने। भाव मन में गहरे उतर रहे है आपकी रचनाओं के बिंब बहुत अलग होते हैं सदैव अचंभित करते है। बहुत सुंंदर सृजन।

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  6. मेरे आम सृजन को "सुन्दर" विशेषता से सजाने के लिए आभार आपका ...

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  7. मन्त्रमुग्ध करती हैं आपकी रचनाएँ ।

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    1. साभार आपका महोदया !

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  8. बस आ ही जाती हों
    बंद कमरों में भी
    खुले रोशनदानों से
    हवा के झोंको के साथ
    मज़हबी बेमतलब की
    बातों में बिना भेद किये
    वाह!!!!
    रुमानियत भरी लाजवाब प्रस्तुति

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    1. सुधा जी ! धन्यवाद आपको ... सराहना कर मनोबल बढ़ाने के लिए ....

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