Saturday, June 15, 2019

चन्द पंक्तियाँ (५) ... - बस यूँ ही ...

(1)#

बड़ा बेरंग-सा था
ये जीवन अपना
तेरे प्यार के प्रिज़्म ने इसे
'बैनीआहपीनाला' कर दिया .....

(2)#

अमरबेल-सा
परजीवी
मेरा मन
तुम्हारे
शिरीष के
शाखों-से
मन पर
लटका है
अटका है
तभी तो
जिन्दा है.....है ना !???

(3)#

बादलों !
बरसो छत्त पर उनके
जिन्हें तेरा कुछ पल .....
भींगाना भाता है।

पगले !
हमारा क्या !?....
हम तो....सालों भर
प्यार में 'उनके' भींगे रहते है ...

2 comments:

  1. बेहद खूबसूरत एहसास से लबरेज़...मनमोहक क्षणिकायें है...👌👌👌

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  2. ""👌 👌 👌" के लिए आभार आपका ...☺

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