(1)
बेशक़ एक ही दिन
वर्ष भर में सुहागन
करती होगी सुहाग की
लम्बी उम्र की खातिर
उमंग से वट-सावित्री पूजा
पर उसका क्या जो
हर दिन, हर पल तुम्हारे
कुँवारे मन का अदृश्य
कच्चा धागा मेरे मन के
बरगद से लिपटता ही रहा
पल-पल हो जाना तुम्हारा
मेरे "मन की अर्धाङ्गिनी"
क्या मतलब फिर इन
सुहागन, अर्धाङ्गिनी,
ब्याहता जैसे शब्दों का ....
तनिक बोलो तो मनमीता !!!
(2)
साल भर में बस एक शाम
टुकड़े भर चाँद देख
एक-दूसरे के गले मिलकर
ईद की खुशियों में
माना कि हम सब बस ...
सराबोर हो जाते हैं
पर उनके ईद का क्या
जो रोज-रोज, पल-पल,
अपने पूरे चाँद को
नजर भर निहार कर
उसी से गले भी मिलते ह
'सोचों' में ही सही .....
(3)
सुबह-सुबह आज ... ये क्या !!..
बासी मुँह .... पर ...
स्वाद मीठा-मीठा
उनींदा शरीर ... पर ...
इत्र-सा महकता हुआ
अरे हाँ .. कल रात ..
सुबह होने तक
गले लगकर संग मेरे तुम
ईद मनाती रही और ...
मैं तुम्हारी मीठी-सोंधी
साँसों की सेवइयां और ...
होठों के ज़ाफ़रानी जर्दा पुलाव
चखता रहा तल्लीन होकर....
मीठा- मीठा सुगंधित असर
है ये शायद ... उसी का
भला कैसे कहें कि ...
ये बस एक सपना था ....
चित्र - स्वयं लेंसबध (साभार- पटना संग्रहालय).
बेशक़ एक ही दिन
वर्ष भर में सुहागन
करती होगी सुहाग की
लम्बी उम्र की खातिर
उमंग से वट-सावित्री पूजा
पर उसका क्या जो
हर दिन, हर पल तुम्हारे
कुँवारे मन का अदृश्य
कच्चा धागा मेरे मन के
बरगद से लिपटता ही रहा
पल-पल हो जाना तुम्हारा
मेरे "मन की अर्धाङ्गिनी"
क्या मतलब फिर इन
सुहागन, अर्धाङ्गिनी,
ब्याहता जैसे शब्दों का ....
तनिक बोलो तो मनमीता !!!
(2)
साल भर में बस एक शाम
टुकड़े भर चाँद देख
एक-दूसरे के गले मिलकर
ईद की खुशियों में
माना कि हम सब बस ...
सराबोर हो जाते हैं
पर उनके ईद का क्या
जो रोज-रोज, पल-पल,
अपने पूरे चाँद को
नजर भर निहार कर
उसी से गले भी मिलते ह
'सोचों' में ही सही .....
(3)
सुबह-सुबह आज ... ये क्या !!..
बासी मुँह .... पर ...
स्वाद मीठा-मीठा
उनींदा शरीर ... पर ...
इत्र-सा महकता हुआ
अरे हाँ .. कल रात ..
सुबह होने तक
गले लगकर संग मेरे तुम
ईद मनाती रही और ...
मैं तुम्हारी मीठी-सोंधी
साँसों की सेवइयां और ...
होठों के ज़ाफ़रानी जर्दा पुलाव
चखता रहा तल्लीन होकर....
मीठा- मीठा सुगंधित असर
है ये शायद ... उसी का
भला कैसे कहें कि ...
ये बस एक सपना था ....
चित्र - स्वयं लेंसबध (साभार- पटना संग्रहालय).
अद्भुत बिम्ब मनमीता का!
ReplyDeleteरचना के बिम्ब के लिए अद्भुत विशेषण प्रदान करने हेतु आभार आपका .....
Deleteगज़ब..बेहद खूबसूरत रुमानी एहसास से भरपूर क्षणिकायें.. बिंब तो अतुलनीय है।
ReplyDeleteसुंदर सृजन👌👌
क्षणिकाओं के लिए विशेषणों से लबरेज सराहना करने के लिए मन से धन्यवाद आपका ....
Deleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार जून 11, 2019 को साझा की गई है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDelete"पांच लिंकों का आनन्द में" के 1425वें अंक में मेरी रचना को स्थान देकर उत्साहवर्द्धन करने के लिए हार्दिक आभार आपका महोदया ....
ReplyDeleteबेहतरीन रचना
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद आपका !
Deleteवाह!!बहुत ही खूबसूरत भावाभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद आपका !
Deleteपर उसका क्या जो
ReplyDeleteहर दिन, हर पल तुम्हारे
कुँवारे मन का अदृश्य
कच्चा धागा मेरे मन के
बरगद से लिपटता ही रहा
बहुत ही सुंदर भाव,सादर नमस्कार
हार्दिक धन्यवाद आपका !
Deleteबहुत सुन्दर सृजन आदरणीय
ReplyDeleteसादर
हार्दिक आभार आपका !
Deleteक्या लफ्ज़ पकडे है आपने शानदार....मन फ्रेश हो गया सभी क्षणिकाएं सुन्दर है !!
ReplyDeleteरचनाकार का मनोबल बढ़ाने वाली आपकी रचना की सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद !!!
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 22 मई 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteजी ! आभार आपका ...
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