Wednesday, August 3, 2022

बस मन का ...


 (१)

बतियाने वाला स्वयं से अकेले में, कभी अकेला नहीं होता,

खिलौने हों अगर कायनात, तो खोने का झमेला नहीं होता 

 .. शायद ...



(२)

साहिब ! यहाँ संज्ञा, सर्वनाम या विशेषण नहीं होता,

कुछ रिश्तों के लिए कभी कोई व्याकरण नहीं होता 

.. शायद ...




(३)

साहिब ! ..जगह दिल में वो भला क्या ख़ाक देगा,

जो किराए में ग़ैर-मज़हबी को कभी घर नहीं देता

.. शायद ...










(४)

आबादी भी भला शहर भर की थी कब सुधरी,

ना थी, ना है और ना रहेगी कभी साफ़-सुथरी।

साहिब ! है सच तो ये कि सफाईकर्मियों से ही,

हैं चकाचक चौराहे, मुहल्ले, सड़क-गली सारी

.. शायद ...




(५)

परिभाषा कामयाबी की है सब की अलग-अलग,

है किसी को पद या दौलत का मद, कोई है मलंग 

.. शायद ...








(६)

चाहे लाखों हों यहाँ पहरे ज़माने भर के, अनेकों बागडोर,

पर खींचे इन से इतर सनम, बस मन का एक कच्चा डोर 

.. बस यूँ ही ...

13 comments:

  1. मोदी जी भेजे हैं लगता है देहरादून व्यवस्था देखने के लिये :)

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी ! नमन संग आभार आपका ...
      जी नहीं ! .. मोD जी नहीं .. LAलू जी भेजे हैं अपने फार्म हाउस की रखवाली करने के लिए 😃😃😃 .. शायद ...

      Delete
  2. कहाँ टहल रहे ? मसूरी रोड या पलटन बाजार ।
    वैसे शायद की ज़रूरत नहीं थी ..... होता ही है ऐसा ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी ! नमन संग आभार आपका ...
      जी ! बस .. कभी दर्शनी गेट से टॉवर चौक तक 'भाया' पलटन बाज़ार या फिर कभी रेस कोर्स से रेस्ट कैंप तक .. बस यूँ ही ... ☺☺☺
      "शायद" ना लगे तो ना मालूम कितने तथाकथित सुसंस्कारी जनों के मन खट्टे हो जाएँ .. शायद ...😀😀😀

      Delete
  3. कहाँ टहल रहे ? मसूरी रॉड या पलटन बाजार ?
    वैसे शायद की ज़रूरत नहीं .... होता है ऐसा ही ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. अभी तो बस .. बरसात के मौसम के जाने की प्रतीक्षा है .. फिर तो मसूरी रोड ही नहीं, मसूरी, ऋषिकेश .. सब जाना होगा .. "उलूक टाइम्स" के दफ़्तर के लिए अलमोड़ा भी जाना हो .. शायद ...☺☺☺

      Delete
  4. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 4.8.22 को चर्चा मंच पर चर्चा - 4511 में दिया जाएगा| आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी |
    धन्यवाद

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी ! नमन संग आभार आपका ...

      Delete
  5. अच्छा लगा शब्दों और चित्रों के माध्यम से हाल-ए-शहर की बानगी

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी ! नमन संग आभार आपका ...

      Delete
  6. नमस्ते.....
    आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
    आप की ये रचना लिंक की गयी है......
    दिनांक 19/03/2023 को.......
    पांच लिंकों का आनंद पर....
    आप भी अवश्य पधारें....

    ReplyDelete
  7. व्वाहहहहहहह
    पुराना चावल स्वादिष्ट होता है
    कुलदीप जी ने सूचना नहीं दी
    आज के हमारे अखबार में ये
    रचना आई है
    सादर कृपादृष्टि

    ReplyDelete