(1)#
बापू ! एक भी तो बन्दरिया ली होती
----------------------------------------
कुछ भूल हुई तुम से भी ना बापू !?
उसी से तो है दुनिया आज बेक़ाबू
पाठ पढ़ाया तीनों को पर ...
तीनों के तीनों ही बन्दर
भला भूल गया क्यों तुमसा ज्ञानी
हर सृजन के लिए है "मादा" जरुरी
बापू ! एक भी तो बन्दरिया ली होती
अब देखो ना ...ना ना .. सुनो ना !
वैसे भी पुरखों से है अक़्सर सुना
सुना भर है पर ... कभी नहीं गुना
कहते हैं सब "तीन टिकट महा विकट"
पर तुमसा ज्ञानी भी तो रखा सदा
तीन ही बन्दर अपने निकट
खैर ! बहरहाल ... सब की तरह
है ये मुझे भी पता कि तुमने तीनों को
है अलग-अलग सिखलाया
"बुरा मत देखो"
"बुरा मत सुनो"
"बुरा मत बोलो"
एक अदद और चौथा रख लेते
सिखलाते उसको बस एक और सबक़
कि ... "बुरा मत करो"
तो तुम्हारा क्या जाता !? बोलो ना जरा !!
तुम्हारा ये "चौथा बन्दर" ही ना ...
आज तक मचा रहा कोहराम
बुराई के विरुद्ध यहाँ तो चुप हैं सभी
इनकी आँख भी हैं मूंदी
कान भी तो बन्द पड़े हैं इनके
पर बुरा कर्म कर तो सभी रहे हैं
बोलो ना तनिक तुम भी कि ...
इस बुरे पर लगेगा भला कैसे विराम !?
बोलो ना बापू ... भला कैसे विराम !???
(2)#
बापू ! तेरे आशिक़ आज
---------------------------
बापू ! तेरे 'आशिक़' आज
तेरा जन्मदिन 2 अक्टूबर
Celebrate करेंगे
सुबह Colgate से
brush कर के
कुछ नर Gillette से
shave करेंगे और
कुछ नारी Revlon की
lipstick लगाएगी और
कुछ नर-नारी मंच पर
भाषण देने जायेंगे
कुछ भाषण सुनने जाएंगे
और सभा का इतिश्री कर
कुछ घर वापस लौट जायेंगें
और कुछ Multiplex में जाकर
अपना दिल बहलायेंगे
फिर ...आज छुट्टी जो है
तेरे जन्मदिन के नाम पर तो
Lee या Levis के
Jeans पहन कर
KFC या Broaster में भी कुछ
शाम entertain करेंगे
आज के "dry day" का
बीते कल ही करके तगड़ा तोड़
कुछ इन्तजाम करेंगे ताबड़तोड़
bigbasket.com से online
Danish Premium Mutton Chops का चखना मंगवा कर "cheers" के साथ
इस मुफ़्त मिली छुट्टी का लुत्फ़ उठाएंगे ...
(3)#
बापू ! आपका बंदर
----------------------
बापू !
डाक-टिकटों पर अंकित आपका चेहरा
रोज़ाना मुहर की काली-काली स्याही
चौराहों- बागों में खड़ी प्रस्तर प्रतिमा
प्रायः बीट करते नभचर मुक्त प्राणी
फिर भी आँखें बंद ? मानो आपका पहला बंदर !!
बापू !
अदालतों में टंगी मुस्कुराती आपकी छवि
गीता की कसम, फिर भी झूठी गवाही
सांप्रदायिक दंगे और क्रूर आतंकवादी
सब तरफ धमाके, चारों ओर तबाही
फिर भी कान बंद ? मानो आपका दूसरा बंदर !!
बापू !
मुद्राओं पर मुद्रित आपका हँसता मुखड़ा
विनिमय साधन - मजबूरों का काया दोहन
आम जनता का अनसुना, अनदेखा दुखड़ा
खादी, ख़ाकी, सफेदपोशों का मुद्रा-मोचन
फिर भी आप चुप ? मानो आपका तीसरा बंदर !!
बापू ! एक भी तो बन्दरिया ली होती
----------------------------------------
कुछ भूल हुई तुम से भी ना बापू !?
उसी से तो है दुनिया आज बेक़ाबू
पाठ पढ़ाया तीनों को पर ...
तीनों के तीनों ही बन्दर
भला भूल गया क्यों तुमसा ज्ञानी
हर सृजन के लिए है "मादा" जरुरी
बापू ! एक भी तो बन्दरिया ली होती
अब देखो ना ...ना ना .. सुनो ना !
वैसे भी पुरखों से है अक़्सर सुना
सुना भर है पर ... कभी नहीं गुना
कहते हैं सब "तीन टिकट महा विकट"
पर तुमसा ज्ञानी भी तो रखा सदा
तीन ही बन्दर अपने निकट
खैर ! बहरहाल ... सब की तरह
है ये मुझे भी पता कि तुमने तीनों को
है अलग-अलग सिखलाया
"बुरा मत देखो"
"बुरा मत सुनो"
"बुरा मत बोलो"
एक अदद और चौथा रख लेते
सिखलाते उसको बस एक और सबक़
कि ... "बुरा मत करो"
तो तुम्हारा क्या जाता !? बोलो ना जरा !!
तुम्हारा ये "चौथा बन्दर" ही ना ...
आज तक मचा रहा कोहराम
बुराई के विरुद्ध यहाँ तो चुप हैं सभी
इनकी आँख भी हैं मूंदी
कान भी तो बन्द पड़े हैं इनके
पर बुरा कर्म कर तो सभी रहे हैं
बोलो ना तनिक तुम भी कि ...
इस बुरे पर लगेगा भला कैसे विराम !?
बोलो ना बापू ... भला कैसे विराम !???
(2)#
बापू ! तेरे आशिक़ आज
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बापू ! तेरे 'आशिक़' आज
तेरा जन्मदिन 2 अक्टूबर
Celebrate करेंगे
सुबह Colgate से
brush कर के
कुछ नर Gillette से
shave करेंगे और
कुछ नारी Revlon की
lipstick लगाएगी और
कुछ नर-नारी मंच पर
भाषण देने जायेंगे
कुछ भाषण सुनने जाएंगे
और सभा का इतिश्री कर
कुछ घर वापस लौट जायेंगें
और कुछ Multiplex में जाकर
अपना दिल बहलायेंगे
फिर ...आज छुट्टी जो है
तेरे जन्मदिन के नाम पर तो
Lee या Levis के
Jeans पहन कर
KFC या Broaster में भी कुछ
शाम entertain करेंगे
आज के "dry day" का
बीते कल ही करके तगड़ा तोड़
कुछ इन्तजाम करेंगे ताबड़तोड़
bigbasket.com से online
Danish Premium Mutton Chops का चखना मंगवा कर "cheers" के साथ
इस मुफ़्त मिली छुट्टी का लुत्फ़ उठाएंगे ...
(3)#
बापू ! आपका बंदर
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बापू !
डाक-टिकटों पर अंकित आपका चेहरा
रोज़ाना मुहर की काली-काली स्याही
चौराहों- बागों में खड़ी प्रस्तर प्रतिमा
प्रायः बीट करते नभचर मुक्त प्राणी
फिर भी आँखें बंद ? मानो आपका पहला बंदर !!
बापू !
अदालतों में टंगी मुस्कुराती आपकी छवि
गीता की कसम, फिर भी झूठी गवाही
सांप्रदायिक दंगे और क्रूर आतंकवादी
सब तरफ धमाके, चारों ओर तबाही
फिर भी कान बंद ? मानो आपका दूसरा बंदर !!
बापू !
मुद्राओं पर मुद्रित आपका हँसता मुखड़ा
विनिमय साधन - मजबूरों का काया दोहन
आम जनता का अनसुना, अनदेखा दुखड़ा
खादी, ख़ाकी, सफेदपोशों का मुद्रा-मोचन
फिर भी आप चुप ? मानो आपका तीसरा बंदर !!
बेहतरीन
ReplyDeleteसटीक प्रहार
रचना तक आने के लिए आभार आपका ...
Deleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में मंगलवार 01 अक्टूबर 2019 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteयशोदा जी ! क्षमायाचना सहित विलम्बित हार्दिक आभार स्वीकार कीजिए ...
Deleteएक अदद और चौथा रख लेते
ReplyDeleteसिखलाते उसको बस एक और सबक़
कि ... "बुरा न करो"
तो तुम्हारा क्या जाता !? बोलो ना जरा !!
तुम्हारा ये "चौथा बन्दर" ही ना ...
आज तक मचा रहा कोहराम.... बहुत सुंदर और सटीक प्रस्तुति
हार्दिक आभार आपका ... उन तीनों में एक बन्दरिया भी होती तो शायद सम्भाल लेती ...
Deleteबापू पर लिखी आपकी तीनों रचनाएँ मन को झकझोर गयी।
ReplyDeleteआज जहाँ बापू के आदर्शों पर उनके मूल्यों पर लोग प्रश्नचिन्ह लगाने से नहीं चूकते आपका यह विचार बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करता है।
कर्मों के प्रति सजगता का संदेश देती सशक्त रचनाएँ है तीनों... गाँधी जयंती के नाम पर किया जाने वाला आडंबर पर सटीक प्रहार है। एक दिन बापू के नाम पर श्रद्धा सुमन अर्पित करने का ढ़ोग करने से किसी भी बदलाव की उम्मीद बेमानी है।
बहुत सुंदर समाज को व्यापक संदेश देती सराहनीय सृजन।
रचना तक आने और व्यापक सार्थक विश्लेषण युक्त सराहना के लिए हार्दिक आभार आपका ...
Deleteशानदार प्रस्तुति।
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
iwillrocknow.com
हार्दिक आभार आपका ...
Deleteजी ! जरूर ...
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (02-10-2019) को "बापू जी का जन्मदिन" (चर्चा अंक- 3476) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आज के इंद्रधनुषी संकलन में एक नन्ही बूँद की तरह मेरी रचना को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार आपका ...
Deleteइन रचनाओं के लिए मेरा बहुत बहुत अभिनंदन स्वीकारें। मैं आपकी रचनाएँ पिछले कुछ समय से पढ़ रही हूँ और आप हर बार एक नए प्रयोग से मुझे स्तब्ध कर जाते हैं। सादर।
ReplyDeleteसोचता और रचना रचता तो आम ही हूँ, पर अगर ये रचना आपको ख़ास बन कर स्तब्ध कर जाती है तो ये रचना की विशेषता है, मेरी कोई सहभगिता नहीं इनमे ...
ReplyDeleteखैर ! बहरहाल मेरी रचनाओं का अवलोकन और आपका अनमोल अभिनन्दन के लिए हार्दिक आभार आपका ... उम्मीद है कभी मेरी रचना कभी आपको निराश नहीं करेगी ...