Sunday, July 28, 2019

काले घोड़े की नाल

" जमूरे ! तू आज कौन सी पते की बात है बतलाने वाला ...
  जिसे नहीं जानता ये मदारीवाला "

" हाँ .. उस्ताद !" ... एक हवेली के मुख्य दरवाज़े के
 चौखट पर देख टाँके एक काले घोड़े की नाल
 मुझे भी आया है आज एक नायाब ख्याल "

" जमूरे ! वो क्या भला !?
  बतलाओ ना जरा ! "

" उस्ताद ! क्यों ना हम भी अपनी झोपड़ी के बाहर
 टाँक दें काले घोड़े की एक नाल
 शायद सुधर जाये हमारा भी हाल "

" जमूरे ! बड़े लोगों की बातें जाने बड़े लोग सब
 पता नहीं मुझे घोड़े की नाल ठोंकने का सबब "

" उस्ताद ! सोच लो ... लोग हैं पढ़े-लिखे
 गलत कुछ थोड़े ही ना करते होंगे .. "

" जमूरे ! "

" हाँ .. उस्ताद ! "

" जिस घोड़े के चारों पैरों में एक-एक कर
  चार नाल ठुंके होते है ... वो घोड़ा सफ़ेद हो या काला
 वो घोड़ा तो ताउम्र बोझ ढोता है ... चाबुक भी खाता है ...
 फिर उसके एक नाल से क्या कल्याण होगा भला !?
 अपने छोटे दिमाग से सोचो ना जरा ...और ...
उसके एक टुकड़े को ठोंक-पीट कर बनाई अँगूठी
 कितना कल्याणकारी होती होगी भला !? "

" उस्ताद ! धीरे बोलो ना जरा ...
सुन लिया किसी ने तुम्हारा ये 'थेथरलॉजी'
तो फिर कौन देखेगा भला अपना मदारी !?
सोचो ! सोचो ! ... गौर से जरा ...
इसलिए अगर चलाना है धंधा अपना ...
तो आँखे मूँदे अपनी
'पब्लिक' की सारी की सारी बातें माने जा
सवा करोड़ की आबादी हमारी तरह
है मूर्ख थोड़े ही ना !? " ...







22 comments:

  1. वाह ! सर बात तो पते की कही आप ने
    बेहतरीन सृजन 👌
    सादर

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    1. " पते की बात " है ... ऐसा पता कराने के लिए शुक्रिया आपका !!☺

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  2. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 29 जुलाई 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. यशोदा जी ! आभार आपका साझा करने के लिए।
    आप लोगों का ये प्रेम (शायद स्नेह या श्रद्धा के श्रेणी में हो) तो उत्प्रेरक की तरह हर्ष के साथ-साथ चौंका भी जा रहा है ... अब तो बार-बार बढ़े हृदय-स्पन्दन की गति के लिए एक अवरोधक भी खरीदना होगा ... शायद ...☺

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  4. बहुत अच्छी बात कही है

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  5. सच में घोड़े की नाल का छल्ला कभी कभी बहुत विस्मय से भर देता है , इसके पीछे का तर्क आज तक समझ ना आया | खूब खरा कटाक्ष !!!!आखिर सभी लोग तो मुर्ख नहीं सकते ! इसी एक जोरदार तर्क के सहारे छल्ले वालों की रोज़ी रोटी का खूब जुगाड़ हो रहा है | बेरोजगारों की भीड़ में घोड़े की नाल की अंगूठी का ये चमत्कार तो प्रत्यक्ष ही हो रहा है ना ?सादर

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  6. कटाक्ष भाव की सराहना आपकी शैली में करने के लिए शुक्रिया आपका ...

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  7. सपने के शेर को मारने के लिए सपने की तलवार ही चाहिए..झूठ को सच साबित करने के लिए झूठ का ही सहारा लेना होगा न

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  8. बेहतरीन प्रस्तुति

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  9. जी .. धन्यवाद !

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  10. मदारी के खेल के बहाने संमाज की गलत सोच को व्यक्त करती बहुत सशक्त रचना।

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    1. जी! आपकी सोच को नमन महोदया !
      (मेरी आम बातचीत के दरम्यान भी इस तरह की दलील को मेरा पागलपन करार देते हैं।)

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  11. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 11 जून जून 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  12. एक सशक्त लेखन। हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं आदरणीय।

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