दुनिया भर में प्रेमी- प्रेमिका के आपसी प्रेम की सफलता के सामाजिक मापदंड- शादी वाली मंज़िल तक पहुँचने वाले सफल और विफल लोगों की क्रमशः अधिक- कम या कम- अधिक आनुपातिक संख्या का आकलन या आँकड़ा का तो हमें संज्ञान नहीं है, परन्तु अपनी इस बतकही में एक विफल प्रेमी की एक परिकल्पना भर है।
जिसके प्रेम की विफलता की वजह कुछ भी हो सकती है .. मसलन- उन दोनों की जाति- उपजाति या धर्म- सम्प्रदाय में भेद या फिर दोनों के परिवारों के मध्य आर्थिक विषमता के कारण परिवार- समाज का विरोध झेलने से या फिर प्रेमिका के लिए अपने परिवार द्वारा एक बेहतर भावी पति के मिलने के लालच की वजह से, .. ख़ैर ! .. वज़ह कोई भी हो .. परिस्थिति ये है कि विफल प्रेम वाली प्रेमिका की शादी किसी और से होने वाली है और प्रेमी अपनी प्रेमिका के लिए शुभकामनाएँ प्रेषित कर रहा है .. मन ही मन में .. बस यूँ ही ...
पूर्वाभ्यास सफल सुहागरात के ...
यूँ तो सुना है .. हो जाते हैं प्रवीण
सारे कलाकार आपसी संवाद में
माह-दो माह भर के पूर्वाभ्यास से
और फलतः कर पाते हैं प्रायः एक दिन
एक कालजयी सफल मंचन .. बस यूँ ही ...
संग हमारे तुमने भी तो कई सालों तक
किए थे पूर्वाभ्यास प्रेम-निवेदन के,
आलिंगन और चुम्बन के .. मेरे आलम्बन में,
कभी मधुमालती या तुरही बेल के चँदोवे तले
तो कभी केवड़े या केने के झुरमुटों के पीछे,
शहर के सार्वजनिक उद्यानों में अक़्सर
और सरके थे कई-कई बार, बारम्बार ..
तुम्हारी झिझक के झीने पल्लू .. बस यूँ ही ...
आशा ही नहीं, विश्वास है हमें कि
बेझिझक समा पाओगी अब तो तुम बाँहों में
अपने भावी पति के .. अपने धर्मपति के,
और हैं शुभकामनाएँ भी हमारी कि
होगी ही तुम्हारी .. एक सफल सुहागरात भी .. बस यूँ ही ...