Friday, August 25, 2023

बाप की तारीफ़ में कंजूसी काहे ...

चंद्रयान के 'लैंडिंग' के वक्त चाँद पर

'रोवर' की रफ़्तार कम करने जैसी, 

आरम्भ हुई थी जो मुहीम कम करने की

आपातकाल के साल में, जनसंख्या अपनी,

ज़बरन कुँवारों तक की तब करवायी गयी थी नसबंदी,

"बीरू " के मना करने पर भी नकियाती "बसंती"

नाच रही थी गब्बर के आगे तब ता-ता थैया-ता-ता थैया,

नज़रबन्द 'मीडिया', रहबर सारे, जब देश डूब रियो थो, 

तब "बर्मन दा" के सपूत "शोले" में गा रियो थो भाया-

"दिल डूबा ~~ ओ महबूबा ~~ ऐ महबूबा ~~~"।

पर आज वर्षों बाद भी छिद्रान्वेषण में लीन, 

"लगे रहो मुन्ना भाई" की तरह तल्लीन,

कर ही डाले मिलकर सारे अब तक बढ़ोतरी तिगुनी,  

चौगुनी तक करने की भी है कोशिश जारी,

पड़ोसी से है होड़ लगी जो, उससे भी है ऊपर जानी भाया।


मची है अब अफ़रा-तफ़री ,

अब सूझ रही इनको बेरोजगारी,

ठहरा कर दोषी सरकार को 

बेरोजगारी की चिल्ल-पों मचाने वालों,

हल तो हो इसको भी एक तगड़ो-सो भाया।

है जब घर में एक-दो ही दाई-नौकर की आवश्यकता,

फिर भी अपने घर दस-बीस क्यों नहीं रख रियो हो भाया,

बेरोजगारी की समस्या भी हल हो जावेगी

और काम भी वो तेरे सारे, वे सारे मिल के निपटावेंगे

और खाली समय में तुम सब मिलकर 

चौगुनी-पाँचगुनी वृद्धि में .. क्या कर रियो हो भाया ? 

चंद्रयान के 'लैंडिंग' के वक्त चाँद पर 'रोवर' की 

रफ़्तार जैसी, रफ़्तार धीमी क्यों नहीं कर रियो हो भाया ?


शहर चाहिए 'सिटी-मेट्रो' जैसी, सड़कें भी चिकनी-चौड़ी,

पर पेड़ काटे जाने पर क्यों तेरो दम घुट रियो हो भाया ?

'गैजेटस्' चाहिए तुमको तो विज्ञान की तरक्की से पनपी

सारी की सारी, फिर चिन्ता भला तुम क्यों पर्यावरण की 

'सोशल मीडिया' में झूठ-मूठ चिपका रियो हो भाया ?

शराबों-सिगरेटों से कैंसर होने के भय वाले सारे

विज्ञापनों के ही क्या भाया, देश के भी तो ख़र्चे सारे

'एक्साइज ड्यूटी' से इनके ही निकल रियो है भाया।

इन्हीं हानिकारक बतलाने वाले सरकारी विज्ञापनों जैसी

अरे .. हाल तुम्हारो तो हो रियो है भाया।


मौसम की मार से जो हुआ टमाटर महँगा,

हे छिद्रान्वेषण में स्नातकधारियों !!! ...

सरकार इसके लिए भी कोई 'कोल्डस्टोरेज' या फिर

'फैक्ट्री' देवे कोई खोल, ऐसा क्या सोच रियो हो भाया ?

अपने-अपने छत पर 'किचेन गार्डेन' में भला 

टमाटर क्यों नहीं उगा रियो हो भाया ?

गैस की तरह इसकी भी 'सब्सिडी' ख़ोज रियो हो भाया ?


घरवाली ने जो बनायी हो स्वादिष्ट तसमई या बिरयानी,

ऐसे में प्रशंसा तो उसकी करनी ही है बनती, पर ...

अगर पति जो सोच रियो हो हाड़तोड़ मेहनत को अपनी,

जिससे तेल, मसाले, बासमती चावल, दूध, शक्कर,

पकने और खाने के सारे बर्त्तन और 'गैस सिलेंडर',

रसोईघर तक तसमई या बिरयानी पकने को सब थो आयो,

इस योगदान की ख़ातिर भी जो पति को मिल रही प्रशंसा,

तो हे छिद्रान्वेषण में स्नातकधारियों !!! ...

ये अब नागवार तुम्हें क्यों गुजर रियो है भाया ?

किसान जो उपजाओ तसमई या बिरयानी के चावल 

उसे भी हक़ है अपनों छप्पन इंच सीनो फुलानो को भाया

नहीं क्या ? क्या बोल रियो हो, क्या सोच रियो हो भाया ?


अब अगर जो बेटा 'आईआईटीयन' या ...

'आईएएस-आईपीएस' बन गयो हो भाया,

उसकी तारीफ़ तो होनो ही चाहो हो भाया,

पर बाप की बेटे को पढ़ाने वाली वर्षों की योजना,

बेटे की पढ़ाई में ख़र्च कियो गयो बाप को रुपया,

ये सब भी तो हक़दार हैं बाप की तारीफ़ को भाया।

तो हे छिद्रान्वेषण में स्नातकधारियों !!! ... बेटे के साथ 

बाप की तारीफ़ में कंजूसी काहे कर रियो हो भाया ?


सब "अंधभक्त" दिख रहे तुमको, पर तुम तो अपनी

आँखों से टीन को चश्मो क्यों नहीं उतार रहो हो भाया ?

पता है, गा तो सकते नहीं, गुनगुना भर ही तो लो अब,

अपने " गोपालदास (सक्सेना) 'नीरज' " जी को भाया,

" चश्मा उतारो, फिर देखो यारों,

   दुनिया नयी है, चेहरा पुराना, कहता है जोकर   ..."

सोच रियो है भाया इस लेखन के क्षेत्र में भी जो होतो,

जाति के नाम पर मुस्टंडों को भी आरक्षण जैसी भिक्षा, 

तो लेखन की क्या दुर्गति हो गयो होतो भाया ?

तो हे छिद्रान्वेषण में स्नातकधारियों !!! ... 

मैं सोच रिया हूँ, कुछ तुम भी क्यों ना सोच रियो हो भाया ? .. बस यूँ ही ...

【चलते-चलते आइए अपने मन के कसैलेपन को दूर करने की ख़ातिर सुनते हैं " गोपालदास (सक्सेना) 'नीरज' " जी की अमर रचना को शंकर-जयकिशन जी के संगीत की चाशनी में डूबी मुकेश जी की सुरीली आवाज़ में .. बस यूँ ही ... 】



(Video Courtesy - @musictotheinfinity)


2 comments:

  1. अपने मुंह मिया मिट्ठू?चलो करवा देते हैं | तालियां |

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी ! .. सुप्रभातम् सह नमन संग आभार आपका .. पर अब "मिट्ठू" या "मी टू" या फिर "उलूक" .. ये सब तो नहीं पता ..लेकिन एक मुँह (चेहरा) तो है, जिसके लिए पहले से ही "तालियाँ" बज रहीं हैं और अनवरत बज रहीं हैं .. वो भारत ही नहीं ... पूरे विश्व में .. शायद ...😂😂😂

      Delete