Wednesday, March 30, 2022

तनिक उम्मीद ...

हो जाती हैं नम चश्म हमारी सुनकर बारहा,

जब कभी करतूतें तुम्हारी चश्मदीद कहते हैं .. बस यूँ ही ...


हैं हैवानियत की हदें पार करने की यूँ चर्चा,

ऐसे भी भला तुम जैसे क्या फ़रीद बनते हैं?.. बस यूँ ही ...


हैं मुर्दों के ख़बरी आँकड़े, पर आहों के कहाँ,

हैं रहते महफ़ूज़ मीर सारे, बस मुरीद मरते हैं .. बस यूँ ही ...


तमाम कत्लेआम भी कहाँ थका पाते भला,

लाख तुम्हें तमाम फ़लसफ़ी ताकीद करते हैं .. बस यूँ ही ...


दरिंदगी की दरयाफ़्त भी भला क्या करना,

दया की दिल में तेरे तनिक उम्मीद करते हैं .. बस यूँ ही ...









20 comments:

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    1. जी ! नमन संग आभार आपका...

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    1. जी ! नमन संग आभार आपका...

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    1. जी ! नमन संग आभार आपका...

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  4. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 31- 3-22 को चर्चा मंच पर चर्चा - 4386 दिया जाएगा| चर्चा मंच पर आपकी उपस्थिति चर्चाकारों का हौसला बुलंद करेगी
    धन्यवाद
    दिलबाग

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    1. जी ! नमन संग आभार आपका... मेरी तुकबंदी वाली बतकही को अपनी विशिष्ट प्रस्तुति में जगह देने के लिए ...

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  5. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 31 मार्च 2022 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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    1. जी ! नमन संग आभार आपका... मेरी तुकबंदी वाली बतकही को अपनी विशिष्ट प्रस्तुति में जगह देने के लिए ...

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    1. जी ! नमन संग आभार आपका...

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    1. जी ! नमन संग आभार आपका...

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    1. जी ! नमन संग आभार आपका ...

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  9. बहुत सुंदर शब्दचित्र

    वाह

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    1. जी ! नमन संग आभार आपका ...

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    1. जी ! नमन संग आभार आपका ...

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