आज हम लोग "कतरनों और कचरे से कृतियाँ - हस्तशिल्प - (भाग-1,2,3.)" के सफर को Lockdown-3.0 की अवधि में आगे बढ़ाते हुए..
कतरनों और कचरे से कृतियाँ - हस्तशिल्प - (भाग-4,5,6.) की ओर चलते हैं .. और एक बार फिर से मन में दुहराते हैं कि ..
1)
आओ आज कतरनों से कविताएं रचते हैं
और मिलकर कचरों से कहानियाँ गढ़ते हैं।
2)
नज़रें हो अगर तूलिका तो ... कतरनों में कविताएं और ...
कचरों में कहानियाँ तलाशने की आदत-सी हो ही जाती है ।
बस यूँ ही ...
#Lock Down के बहाने - #Handicraft/हस्तशिल्प - (४).
#Lock Down के बहाने - #Handicraft/हस्तशिल्प - (४).
यूँ तो Social Media पर " पेड़ बचाओ " की पैरवी करने वाले कई लोग एक-एक पौधे को 10-10, 15-15 लोगों द्वारा पकड़ कर वृक्षारोपण का स्वांग करने वाली Selfie चिपकाने/चमकाने में अकड़ महसूस करते दिखते हैं। जबकि उनके शयन-कक्ष, अतिथि-कक्ष और डाइनिंग-स्पेस में लकड़ी के बेशकीमती फ़र्नीचर उनकी दिखावटी विचारधारा को मुँह चिढ़ाती विराजमान दिख जाती है।
खैर ! मुखौटे वाले चेहरों और चरित्रों का क्या करना भला ! फ़िलहाल हम तो Lockdown के लम्हों में इन प्रायः फ़र्नीचर बनने के दौरान बढ़ई द्वारा लकड़ी को चिकना बनाने के लिए रंदा से छिले गए छीलन से सुन्दर सा फूल वाला Wall Hanging बनाते हैं।
बस अलग-अलग पेड़ों की अलग रंगों की लकड़ी के कुछ जमा किए गए छीलन, पुराने डब्बे से कार्डबोर्ड, हरसिंगार का सूखा बीज, पिस्ता का छिल्का, गेंहूँ के पौधे का डंठल, सूखा नेनुआ का बीज के संयोजन और फेवीकोल & कैंची के सहयोग से बन गया .. कमरे की दीवार की शोभा बढ़ाता एक प्यारा-सा (?) Wall Hanging ...☺😊☺...
बस यूँ ही ...
#Lock Down के बहाने - #Handicraft/हस्तशिल्प -( ५ ).
22 मार्च को 14 घन्टे की जनता-कर्फ्यू , फिर दो दिनों तक कुछ जिलों में लगे लॉकडाउन के बाद 21 दिनों के लिए सम्पूर्ण देश के लिए घोषित लॉकडाउन यानी आज 14 अप्रैल तक .. उस के बाद पुनः आज 19 दिनों यानी 3 मई तक के लॉकडाउन की घोषणा ... आइए .. समय का सदुपयोग करते हुए और अपने भीतर सकारात्मक ऊर्जा भरते हुए कुछ विस्तार देते हैं .. हस्तशिल्प को ... हस्तशिल्प कला को ...
पर नया कुछ करने से पहले आज लगभग 29 - 30 ( 1989 - 1990 ) साल पुरानी अपनी एक एकल हस्तशिल्प प्रदर्शनी के लिए बनायी हुई कई हस्तशिल्पों में से कुछ अवशेष बचीखुची पुरानी यादों पर पड़ी गर्द की परतों को हटाने का जी चाहा .. वैसे भी यादों को सहेजना किसे नही अच्छा लगता .. ख़ासकर जब यादें सकारात्मक हों, तब तो विशेषरूप से ... शायद ..
उस जमाने के रील वाले कैमरे की नेगेटिव से स्टूडियो के लैब में बने कार्डबोर्ड पर बने फोटो में से आज उस दिन का एक यादगार फोटो भी संयोगवश मिला .. जिनमें तीन-चार कोलाज़ ( Collage Art/ एक विधा ) के साथ-साथ टाइल्स ( Tiles Art ), एल्युमीनियम सीट ( Metal Art ), गेहूँ के डंठल ( Grass Art ), बालू ( Sand Art ), टूटी चूड़ियों ( Bangle Art ), सोला वुड ( Sola wood Art ), थर्मोकोल ( Thermocol Art ) इत्यादि से बने कुछ हस्तशिल्प पुरानी यादों को ताजा कराते .. मुस्कुराते हुए सकारात्मक ऊर्जा प्रवाहित कर गए ...
और आपको !? ... फिर मिलते हैं अगली बार किसी नए हस्तशिल्प के साथ ... इस लॉकडाउन की अवधि में ...☺
टूटे-बेकार टाइल्स के टुकड़ों से बनाई हुई कृति
गेहूँ के डंठल से बनी हुई कृति - सरस्वती
एल्युमीनियम के चादर से 3D कृति - डॉ राजेंद्र प्रसाद
गंगा के सफेद और सोन के सुनहले बालू से बनी कृति
एकल हस्तशिल्प प्रदर्शनी - 1989-90 में.
बस यूँ ही ...
बस यूँ ही ...
#Lock Down के बहाने - #Handicraft/हस्तशिल्प - (६).
समान्य विज्ञान का वर्त्तमान पुरोधा - गूगल बाबा के अनुसार विश्व में सोना उत्पादन में भारत 10वें स्थान पर है, परन्तु खपत की दृष्टिकोण से पहले स्थान पर है, ख़ासकर गहने के रूप में खपत के मामले में। कहते हैं कि विश्व के सोना-उत्पादन का लगभग 50% सोना इस से गहना बनाने के काम में आता है।
सर्वविदित है कि सोना का शुद्धतम रूप काफी लचीला होने के कारण उसमें अन्य धातु मिलाकर ही गहना तैयार किया जाता है। अलग-अलग धातु अलग-अलग मात्रा/प्रतिशत में मिलाकर गुलाबी, पीला, पीला-हरा, पीला-गुलाबी, सफ़ेद जैसे कई रंगों के सोने के गहने बनाए जाते हैं। वैसे तो भारत में 22 कैरेट सोने के गहने को ही सही माना जाता है और ज्यादा उपयोग में लाया जाता है। बशर्ते वह हॉल मार्क वाला हो या सुनार ईमानदार हो। पर भारत के बाहर 18 कैरेट के और सफेद सोने (White Gold) के बने गहनों को ज्यादा पहना जाता है। एक और रोचक बात ... भारत में सोने के गहने पहनने और सहेजने के अनुपात अजीबोग़रीब है। शायद ... पहनने से ज्यादा सहेजने को प्राथमिकता दी जाती है।
जब सोना एक क़ीमती धातु है तो उसको विशेष रूप से सहेजना भी लाज़िमी है और रंगीन भी है तो फिर उसे रंगीन-चमकदार डब्बे में रखा जाए तो बात ही कुछ और होगी। कहते हैं ना ...सोने पे सुहागा।
इस तरह के बक्से या डब्बे को धड़ल्ले से हिन्दीभाषी लोग भी हिन्दी में ज्वेलरी-बॉक्स (Jewellery Box) या ऑर्नामेंट-बॉक्स (Ornament Box) कहते हैं। किन्हीं मातृभाषा प्रेमी और संस्कृति प्रेमी को विदेशी भाषा से परहेज़ हो और अगर विशुद्ध हिन्दी की बात करें तो इसे शायद आभूषण-मंजूषा कहा जा सकता है। है ना !?...
तो आइए बनाते हैं Lockdown-2.0 की अवधि में - आभूषण-मंजूषा ... जिसके लिए लेते हैं .. कुछ गत्ते, रुई, वेल्वेट/मखमली कपड़ों (Velvet Clothes) के टुकड़े, विभिन्न प्रकार के कुछ सजावटी कलई किए हुए शीशे, तरह-तरह के कुछ रंगीन गोटे, कैंची, स्केल, सुई-धागा, फेविकॉल और obviously मिले हुए Lockdown के घर में बिताने वाले समय ... बस हो गया तैयार आभूषण-मंजूषा यानि Ornament Box. इसी तरह बना सकते हैं कई आकारों में Bangle Box.
चूँकि Lockdown -1.0 की घोषणा किसी पूर्व सूचना के अचानक ही की गई थी, तो बनाने के सारे पर्याप्त सामान पहले से उपलब्ध नहीं कर पाया था। अतः जो भी वर्षों पुराने सहेजे सामान समयाभाव में बस यूँ ही किसी कोने में पड़े थे उन्हीं से कुछ आधे-अधूरे Jewellery Box बन कर तैयार हैं , जिसे Lockdown खुलने के बाद पूरा करने की कोशिश रहेगी। इनमें एक Ornament Box पूर्णरूपेण तैयार है।
Lockdown तक ये हस्तशिल्प का सिलसिला जारी है ... वैसे .. आपको चाहिए क्या !? .. ये आभूषण-मंजूषा ...
हस्तशिल्प का ये सफ़र बस यूँ ही ... चलता रहे ... एक आशा - एक उम्मीद ...
वाह! वाकई सोने पे सुहागा!
ReplyDeleteसुप्रभात ! आभार आपका ... लॉकडाउन-3.0 की अवधि में ...☺
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (06-05-2020) को "शराब पीयेगा तो ही जीयेगा इंडिया" (चर्चा अंक-3893) पर भी होगी। --
ReplyDeleteसूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
आप सब लोग अपने और अपनों के लिए घर में ही रहें।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
--
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
जी सर ! सुप्रभात संग नमन आपको और साथ ही आभार आपका मेरी रचना/विचार को अपने मंच पर साझा करने हेतु ...
Deleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 05 मई 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteजी यशोदा बहन ! नमस्कार आपको और आभार आपका मेरी रचना/विचार को अपने मंच पर साझा करने के लिए ...
Deleteबहुत ही शानदार हस्तशिल्प
ReplyDeleteनमन आपको और आपकी प्रतिभा को
🙏🙏🙏🙏
नमन आपको और आभार भी रचना/विचार तक आने के लिए ... प्रतिभा जैसी कुछ भी नहीं, बस आप की ज़र्रानवाज़ी है .. वो तो बस यूँ ही ... क़ुदरत की देन भर है ...
Delete