Thursday, April 23, 2020

मुखौटों का जंगल


लॉकडाउन की इस अवधि में खंगाले गए धूल फांकते कुछ पुराने पीले पन्नों से :-





मुखौटों का है जंगल यहाँ, यहाँ लगता हर शख़्स शिकारी है
सच बोलना है ज़ुर्म यहाँ, यहाँ हुआ ये आज फ़तवा जारी है।

उम्मीद नहीं कि बचेगा बीमार, शायद ये अस्पताल सरकारी है
बच जाएगा पर, हर वो मुज़रिम जो नाबालिग बालात्कारी है।

तेरा गुमान बेमानी है ऐ दोस्त !, हर साँस क़ुदरत की उधारी है
डर से तोड़ा आज आईना हमने, चेहरे पर दिखी मक्कारी है।

लुट जाओगे तुम भी आज ना कल, लुटेरों के हाथों पहरेदारी है
दोष किस-किस को दूँ सुबोध, जब ज़ुर्म में मेरी भी हिस्सेदारी है।


14 comments:

  1. बहुत सुन्दर।
    विश्व पुस्तक दिवस की बधाई हो।

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    1. नमन सर ! आभार आपका रचना/विचार तक आने के लिए ...

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  2. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार २४ अप्रैल २०२० के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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    1. जी ! आभार आपका मेरी रचना/विचार को अपने मंच की प्रस्तुति में साझा करने के लिए..

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    1. जी ! आभार आपका इस रचना/विचार तक आने के लिए ...

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  4. https://khooshiya.blogspot.com/2020/04/blog-post28.html

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    1. आपके ब्लॉग पर भी इसकी चर्चा कर दिया हूँ ... क़ुदरत हर पल।आपके साथ सकारात्मक रहे ...

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  5. Sir aap ki kavita news papers me publish hoti to aap pleace meri poem read kr k btao ge ki meri kavita bhi publish hone layk h kya or kya or improvement krna chaie muje

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    1. आप अपने वहाँ के स्थानीय समाचार पत्रों में उस दिन ( वार ) का पता कर लो जिस दिन अतिरिक्त साहित्यिक अंक उसमें संलग्न होते हैं।
      उनमे अपनी रचना भेजने का पोस्टल पता और ईमेल एड्रेस भी होता है। उसमें भी भेज सकती हो या फिर अगर उसी शहर में उस समाचार पत्र का प्रेस है तो वहाँ जा कर उस विभाग से सम्बंधित अधिकारी से मिल कर अपनी रचना सौंप सकती हो।
      प्रयास करती रहो ... बस ...

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  6. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा रविवार(०३-०५-२०२०) को शब्द-सृजन-१९ 'मुखौटा'(चर्चा अंक-३६९०) पर भी होगी।

    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ….
    अनीता सैनी

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  7. सुंदर अभिव्यक्ति ,सादर नमन

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    1. जी ! आपको भी नमन ... और आभार भी ...

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