Thursday, October 17, 2019

यार चाँद ! ...

यार चाँद ! .. बतलाओ ना जरा !...
जो है मेरे मन के करीब अपनी प्रियतमा
होकर करीब भी मन के जिसके
जिसे अक़्सर मैं मना नहीं पाता 
और बतलाओ ना जरा ...
मीलों दूरी से कैसे भला !? ..
"सब" से "सब कुछ" लेता है तू मनवा
लिए अंदाज़ जैसे तुम बोल रहे ऊपर से
" अक्खा मुम्बई का मैं दादा ...
अपुन का जो बोलूँ  .. वही इधरिच करने का "
चाहे आबादी थी कभी तीस-पैंतीस लाख की
या आज सवा करोड़ से भी ज्यादा
ख़ास है ... तेरा सबसे अपनी मनवाना ...

कुछ ही दिन पहले शरद-पूर्णिमा
के नाम पर तुम्हारे चर्चे थे बड़े
अब फिर आज करवा चौथ !?...
धत् यार ! तू तो पागल ही कर देगा ...
यार ! कभी अमावस्या .. कभी पूर्णिमा ..
कभी दूज .. तो कभी तीज ..
कभी तीज .. कभी करवा चौथ ..
कभी सिवईयाँ .. तो कभी क़ुर्बानी ..
कभी होलिका-दहन .. तो कभी रंगोली ..
कभी उपवास ..  जो करे सुहाग की आयु लम्बी

यार ! तू  राजनेता है कोई जनेऊधारी जो
इफ़्तार में टोपी पहन रोज़ा बिना किए
रोज़ा तोड़ने अक़्सर पहुँच जाता
या फिर कोई राष्ट्रनेता जो अलग-अलग
राज्यों में .. संस्कृतियों में ..
कभी पगड़ी, कभी मुरेठा, कभी टोपी
तो कभी पजामा, कभी लुंगी , कभी धोती से
भीड़ और कैमरे के समक्ष खुद को है सजाता
या कोई है तू अवार्ड मिला सफल अभिनेता
जो हर किरदार में क्षण भर में है ढल जाता
या फिर कोई किसी मुहल्ले-शहर की गली-गली में
चौक-चौराहों ... फुटपाथों पर ..
घुमने वाला कोई रंगीला बहुरूपिया
या सच में है तू एक धर्मनिरपेक्ष
भारतीय नागरिक सच्चा वाला

कहा जो है 'यार' तुम्हें तो अब गुस्सा मत जाना
कहूँगा नहीं अब तो तुमको कभी भी 'मामा'
देखो ! मैं हो गया हूँ कितना बड़ा ! ..
बड़ा क्या ... बुढ़ा भी ... हो रहे
बाल सफेद चमकदार चमचम
हो तुम्हारी चाँदनी जैसे ...
तू तो सदियों से है जस का तस .. बस जवान
ये भी राज की बात कभी
फ़ुर्सत में किसी दिन मुझे बतलाना
पर बहरहाल .. तुमने भी तो सुना ही होगा ना !? ...
बच्चे जब हो जाते हैं बड़े 
बड़ों के दोस्त हैं बन जाते
बतलाऊँ मैं एक बात राज की
अपने बेटे को हमने हर पल
बचपन से ही दोस्त ही है माना
अब तो तू अपनी राज की बात .. दादागिरी वाली
यार ... मेरे कान में फुसफुसा जरा ...
यार चाँद ! ... सच-सच ...बतलाओ ना जरा !...


14 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (17-10-2019) को   "सबका अटल सुहाग"  (चर्चा अंक- 3492)     पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।  
    --
    अटल सुहाग के पर्व करवा चौथ की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ 
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. सादर प्रणाम महाशय आपको !
      मेरी रचना को चर्चा-मंच पर कल साझा करने के लिए मन से आपका शुक्रिया। पर महाशय केवल दिनांक 17 को 18 कर दीजिए।
      मेरी पिछली रचना को भी गत अंक में साझा करने में कुछ मानवीय त्रुटी रह गई थी। उलाहना नहीं, बस एक विनती।
      पुनः नमन ...

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  2. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार १८ अक्टूबर २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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    1. पांच लिंकों का आनंद पर मेरी रचना साझा करने के लिए आपका हार्दिक आभार .....

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  3. या सच में है तू एक धर्मनिरपेक्ष
    भारतीय नागरिक सच्चा वाला. .

    वाह चाँद की तुलना भारत की धर्मनिरपेक्ष भावना की खूबसूरती से करने पर बधाई
    बहुत सुन्दर रचना

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    1. आप जैसी युवा पीढ़ी के नाते एक नई सोच की उम्मीद के साथ हार्दिक आभार आपका ...

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  4. कवि मन की उड़ान को नमन

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    1. आपको भी इस रचना तक आकर उसे महसूस करने के लिए
      हार्दिक आभार आपका ...

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  5. हर धर्म मे एकता की नींव
    हर संस्कृति को महान बनाना अकेले अपने दम पर।
    सुंदर अभिव्यक्ति।
    बड़े होते ही दोस्त बन जाते हैं...केवल फिल्मों में 😁

    मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है 👉👉  लोग बोले है बुरा लगता है

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    1. This comment has been removed by the author.

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    2. नमन और हार्दिक आभार आपका ....
      केवल फिल्मों वाली बात का जिक्र जो आपने किया है, दरअसल मैंने जीया है ... यकीं नहीं क्या !?
      जरूर आना है आपके पोस्ट पर ...

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  6. Replies
    1. हार्दिक आभार आपका ...

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