Monday, June 17, 2019

भावनाओं के ऊन

किसी पहाड़ी वादियों में
कुलाँचे मारते भेंड़ों के झुण्ड जैसी
भागमभाग वाली हमारी दिनचर्या
और उन भेंड़ों के बदन से
ज़बरन कतरे गए मुलायम
उनके बालों जैसे कतरे गए
हमारी दिनचर्या से हमारे चंद पल
जिनसे कातते हैं हम
अक़्सर भावनाओं के ऊन

फिर स्वेटर बुनने वाले
दो सलाइयों के मानिंद
हमारा-तुम्हारा मन अक़्सर
बुना करते हैं मिलकर
गरमाहट देने वाले,
मुलायम, मनमोहक,
और रंगीन सपने
ठीक ग्राफ वाले
रंगीन स्वेटर की तरह

जैसे बुना करती हैं औरतें
अपनी 'तुहीना क्रीम' से महकती
मखमली हथेलियों से अक़्सर
दायीं तर्जनी को
बार-बार उचकाती
कभी दो-चार मिल गप्पें लड़ाती
कभी गुनगुनाती अकेली
ठिठुरती रातों में बोरसी के आगे
ख़ुद को गरमाती

चार अँगुल या फिर ...
एक बित्ता भर बुनने के बाद
कभी रात में करवट बदले पीठ पर
या  सुबह-सवेरे कभी उनींदे में ही
सगे के सीने पर रख कर
नापे गए स्वेटर की तरह
अपने साझा बुने सपने को
सच करने की औकात मापते हैं या
उम्मीदों भरे अवसर भर भाँपते हैं

भले सोचों में ही अक़्सर
मिलते हैं गले दोनों
ठीक बुनती दोनों सलाइयों की तरह
और उचक-उचक कर बुनती
दायीं तर्जनी की मानिंद
दोनों की बाँहें उचक कर
और भी गझिन गिरफ़्त बनाती हैं
ऊन से स्वेटर बनाती फंदों जैसी
एक-दूसरे की चाहतों की .....





8 comments:

  1. वाह!भावनाओं की महीन बुनाई में गूंथती मन की सलाइयों का सुंदर संगीत।

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    1. आप तक शब्दों का अहसास पहुँचा, आपका आभार ...

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  2. वाह !!बहुत खूब ,स्वेटर तो बहुत बुनी हूँ लेकिन भावनाओं की इतनी सुंदर बुनाई , शायद पहली बार


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  3. हाथ से बुने स्वेटरों में तो भावनाओं की ही गरमाहट होती है ... ऊन की थोड़े ही ना .... है ना !?

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  4. खूबसूरत एहसास से लबरेज़..बहुत सुंदर बिंब से सजी गहन, भावपूर्ण, प्यारी सी कविता।👌

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    1. एक अकेली कृशकाय कविता को कई विशेषणों से सुसज्जित करने के लिए आभार आपका ....

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  5. गहरे उतरते शब्‍द ...आभार ।

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    1. शुक्रिया आपका बंधु !

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