Wednesday, May 19, 2021

प्रिया संग मानसिक संवाद ... ( भाग-४ ). [ अन्तिम भाग ].

 प्रिया संग मानसिक संवाद ...

समय आया बुरा बिखराने के लिए शायद

संबंधों के सगे होने के सारे लगाए क़यास।

बिखरते हैं आँधियों में दुर्बल डालों के नीड़

मानो कर के बेकार पंछियों के सारे प्रयास।


कुछ संबंधों जैसे छूटे गंध औ स्वाद, तब भी

प्रिया संग जारी मानसिक संवाद, हो उदास।

बिस्तर भर सिमटा-फैला है जीवन-विस्तार,

डगमग-डगमग है सारा दिनचर्या विन्यास।


हर क्षण संविधान के अनुच्छेद चौदह वाले 

समानता के अधिकार का टूट रहा विश्वास।

डाल से लटका आख़िरी पत्ता भी गिरा रहा, 

वो झोंका बंजारा-आवारा हवा का बिंदास।


लाचार हैं हम, हुए असमर्थ संत्राण भी सारे  

दूर करने में इन दिनों बींधते हुए ये संत्रास।

बन रहा आए दिन .. कभी कोई पड़ोसी या 

कभी सगा भी महामारी कोरोना का ग्रास।



16 comments:

  1. कोरोना की भयंकर शारीरिक-मानसिक पीड़ा को झेलकर भी प्रिया संग मानसिक संवाद भावनाओं की प्रखरता का परिचायक है। हृदय से जुड़े व्यक्ति से आंतरिक व्यथा कह देना असह्य वेदना से त्राण पाने सरीखा है बाकी सब अपनी जगह कायम हैं।कोरोना की विभीषिका। का जीवंत चित्र उकेर दिया आपने। भावपूर्ण अभिव्यक्ति जो अत्यंत सराहनीय है। हार्दिक शुभकामनाएं।

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी ! नमन संग आभार आपका ...

      Delete
  2. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार २१ मई २०२१ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।


    ReplyDelete
    Replies
    1. जी ! नमन संग आभार आपका ...

      Delete
  3. लाचार हैं हम, हुए असमर्थ संत्राण भी सारे

    दूर करने में इन दिनों बींधते हुए ये संत्रास।

    बन रहा आए दिन .. कभी कोई पड़ोसी या

    कभी सगा भी महामारी कोरोना का ग्रास।---बहुत गहरी रचना है, चिंतन को विवश करती हुई।

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी ! नमन संग आभार आपका ...

      Delete
  4. कोरोना से जंग लड़ाते हुए मानसिक संवाद ही है जो वक़्त गुजरने का साधन है । न जाने हर पल क्या क्या संवाद करता रहता है , प्रिया के साथ और आत्मिक लोगों से भी ।
    कठिन परिस्थिति में भी आप संवाद संभव कर पा रहे हैं ये बहुत अच्छी बात है ।
    आपके स्वास्थ्य के लिए मंगल कामनाएँ ।शीघ्र स्वस्थ हों और फिर मानसिक संवाद नहीं आमने सामने बैठ बातें करें ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी ! नमन संग आभार आपका ...

      Delete
  5. यह संवाद अभी हर कोई के जहन में है। वर्तमान भावों को आपने बहुत बेहतर ढंग से प्रस्तुत किया है।

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी ! नमन संग आभार आपका ...

      Delete
  6. कैसे हैं आज आप,
    जल्द बाहर आइए
    नहीं कह सकता..
    अंदर ही रहिए..
    टीका लगवाइए..
    टिप्पणी करते रहिए..
    सादर..

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी ! नमन संग आभार आपका ... क़ुदरत की करामात और आप सबों की प्रत्यक्ष या परोक्ष शुभकामनाओं से पहले से बहुत बेहतर हूँ ...

      Delete
  7. Replies
    1. जी ! नमन संग आभार आपका ...
      जी सही ! समय तो कभी भी नहीं थमता। पर जाने कितनों को असमय निकल ले गया अपने साथ-साथ ...

      Delete
  8. भावपूर्ण और अच्छा सृजन

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी! नमन संग आभार आपका ...

      Delete