बिग एफ़ एम् 92.7 पर सोम से शुक्र तक
बस यूँ ही देर रात सोते वक्त आँखें मूंदें
9 से 11 जब तुम पास ही बिस्तर पर लेटे
खोई रहती हो कानों में ब्लू-टूथ लगाए हुए
"यादों का इडियट बॉक्स विद नीलेश मिश्रा" में
उसकी रुमानियत भरी कहानियों में कम और ...
कुछ थोड़ा ज्यादा ही उसकी खनकती आवाज़ों में
उस वक्त तुम्हारे इस स्टुपिड की उंगलियाँ रहती हैं
खोई-खोई खुले-बिखरे पर घने बालों में तुम्हारे
साथ में सोंधाती रहती है शैम्पू मिले सुगंध से मेरी साँसें...
अक़्सर फ़ुर्सत के पलों में अपने मोबाइल से
यू-ट्यूब में ढूंढ-ढूंढ कर निकालती हो
जब कभी कुमार विश्वास की कविताओं वाली
कई सारी वीडियो एक के बाद एक
पर उसकी कविताओं से थोड़ी कम
और मनमोहक अदाओं से ज्यादा जब-जब
चमक उठती हैं तुम्हारी शोख़ी भरी निगाहें
उस वक्त तलाशता रहता है तुम्हारा यह स्टुपिड
ख़ुद को उन चमक भरी तुम्हारी निगाहों में
बस यूँ ही देर रात सोते वक्त आँखें मूंदें
9 से 11 जब तुम पास ही बिस्तर पर लेटे
खोई रहती हो कानों में ब्लू-टूथ लगाए हुए
"यादों का इडियट बॉक्स विद नीलेश मिश्रा" में
उसकी रुमानियत भरी कहानियों में कम और ...
कुछ थोड़ा ज्यादा ही उसकी खनकती आवाज़ों में
उस वक्त तुम्हारे इस स्टुपिड की उंगलियाँ रहती हैं
खोई-खोई खुले-बिखरे पर घने बालों में तुम्हारे
साथ में सोंधाती रहती है शैम्पू मिले सुगंध से मेरी साँसें...
यू-ट्यूब में ढूंढ-ढूंढ कर निकालती हो
जब कभी कुमार विश्वास की कविताओं वाली
कई सारी वीडियो एक के बाद एक
पर उसकी कविताओं से थोड़ी कम
और मनमोहक अदाओं से ज्यादा जब-जब
चमक उठती हैं तुम्हारी शोख़ी भरी निगाहें
उस वक्त तलाशता रहता है तुम्हारा यह स्टुपिड
ख़ुद को उन चमक भरी तुम्हारी निगाहों में
टटोलते हुए तुम्हारे बचपन में तुमको लगाए गए
चेचक के टीके की दाग़ वाली स्लीवलेस से झाँकती तुम्हारी बाँहें...
चेचक के टीके की दाग़ वाली स्लीवलेस से झाँकती तुम्हारी बाँहें...
निहारती हो सोशल मिडिया में जब-जब चिपके हुए
कई मनमोहक स्टेटस वाले चन्द चॉकलेटी चेहरे
कई मनमोहक स्टेटस वाले चन्द चॉकलेटी चेहरे
उन्हीं की दो-चार पंक्तियों पर जबरन चिपकायी हुई
या कुछ उम्रदराज़ पर ... मनचले शायरों की रूमानी शायरी
कुछ अपने मनपसन्द ग़ज़लकारों की ग़ज़लें
या फिर ठहरती हो पढ़ने कुछ पोस्ट भी अतुकान्त रचनाओं वाले
मिले फ़ुर्सत के पलों में मानो गुम हो उनमेंं डूब-सी जाती हो ..
मन ही मन मुदित हो मंद-मंद मुस्कुराती हो
अपनी गुदगुदाती प्रतिक्रियाएं और लाल दिल वाली स्माइली
उछालने की ख़ातिर मोबाइल की स्क्रीन पर उंगलियाँ दौड़ाती हो
उस वक्त बस डूब-सा जाता है ये तुम्हारा स्टुपिड
तुम्हारे चेहरे की रुमानियत भरी झील की गहराइयों में ...
कुछ अपने मनपसन्द ग़ज़लकारों की ग़ज़लें
या फिर ठहरती हो पढ़ने कुछ पोस्ट भी अतुकान्त रचनाओं वाले
मिले फ़ुर्सत के पलों में मानो गुम हो उनमेंं डूब-सी जाती हो ..
मन ही मन मुदित हो मंद-मंद मुस्कुराती हो
अपनी गुदगुदाती प्रतिक्रियाएं और लाल दिल वाली स्माइली
उछालने की ख़ातिर मोबाइल की स्क्रीन पर उंगलियाँ दौड़ाती हो
उस वक्त बस डूब-सा जाता है ये तुम्हारा स्टुपिड
तुम्हारे चेहरे की रुमानियत भरी झील की गहराइयों में ...
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 16 फरवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteआभार आपका यशोदा जी ...
Deleteबढ़िया प्रस्तुति
ReplyDeleteआपका आभार ...
Deleteस्टुपिड😀😀😀🌹🌹👌
ReplyDelete☺☺☺ और नहीं तो क्या !? ☺
Deleteकेवल stupid ही क्यों ...
मेरे Instagram और Yourquote पर # के साथ मिलेगा - stupid, baklolkabakwas, bakchondharchacha साथ में banjaarabastikevashinde और Basyunhi तो है ही ☺
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (17-02-2020) को 'गूँगे कंठ की वाणी'(चर्चा अंक-3614) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
*****
रवीन्द्र सिंह यादव
आभार आपका ... दरअसल notifications नहीं आ ने से आज पता चल पाया ...
Deleteबहुत बढ़िया प्रस्तुति
ReplyDeleteजी ! आभार आपका ...
Deleteबेहतरीन प्रस्तुति
ReplyDeleteआप जैसे स्थापित महाशय का " बेहतरीन " वाला मुहर लगाने के लिए आभार आपका ..
Deleteक्योंकि स्टुपिड प्यार में है....
ReplyDeleteबढिया वेलेन्टाइन
वाह!!!
जी ! .. आभार आपका .. वैसे ... सही पकड़ी हैं ☺
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